शिमला: जिला मंडी के चैल चौक वन विश्राम गृह के समीप सैंकड़ों पेड़ काट कर एक बड़ा मैदान बनाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचन्द्र राव एवं न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पूछा है कि पेड़ों के कटान के समय तैनात वन कर्मियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है? यह भी पूछा गया है कि जब पेड़ कट रहे थे तो वन विभाग ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कैसे फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के साथ का बहुत बड़ा भाग बिना वन विभाग की जानकारी के खाली कर दिया गया.
कोर्ट ने वन विभाग से पूछा है कि काटे गए पेड़ों की जगह फिर से नए पौधे क्यों नहीं लगाए गए हैं? कोर्ट ने सरकार से यह जानकारी स्टेट्स रिपोर्ट के माध्यम से देने के आदेश जारी किए. कोर्ट ने डीसी मंडी की रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया कि दो व्यक्तियों पर कांगरी से वाइल्ड लाइफ रेस्ट हाउस शिकारी देवी सड़क को चौड़ा करने के लिए अनेकों पेड़ काटने के जुर्म में 3 लाख रुपए का जुर्माना और कुछ समझौता शुल्क वसूला गया है. इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को वन संरक्षण के प्रति गंभीर रवैया अपनाने के आदेश दिए हैं. साथ ही वन विभाग को आदेश दिए कि वनों के अवैध कटान को हर हालत में रोके. पेड़ों के कटने के बाद मात्र जुर्माना वसूली से हालत नहीं सुधरेंगे. पेड़ कटने से पहले ही लोगों को रोकना होगा.