शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एनआईटी हमीरपुर में चिट्टे की ओवरडोज से एक छात्र की मौत के मामले में आरोपी रजत शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन शर्मा ने अपने निर्णय में यह साफ कहा मामले से जुड़े तथ्यों और रिकॉर्ड को देखते हुए प्रार्थी का यूं जमानत पर छोड़ा जाना कानूनन उचित नहीं होगा. अदालत ने कहा कि प्रार्थी के कृत्य और आचरण को देखते हुए भी जमानत देना कानूनी तौर पर ठीक नहीं है. क्योंकि प्रार्थी ने इस मामले में व्हाट्सएप चैट और कॉल डिटेल्स हिस्ट्री को मिटाकर सबूत नष्ट करने की कोशिश भी की है.
हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि अगर इस तरह के मामलों में जमानत दी जाती है तो अन्य बेरोजगार युवा और गरीब लोग भी पैसे कमाने के लिए ऐसे काम करने के लिए प्रोत्साहित हो जाएंगे. अदालत ने कहा कि व्यापक सामाजिक हित में भी प्रार्थी की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है. मामले में दायर स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता रजत शर्मा अन्य आरोपी रवि कुमार चोपड़ा और अंकुश शर्मा के साथ साजिश में इंटरनेशनल गैंगस्टर अथवा किंग-पिन कुलविंदर उर्फ काका के संपर्क में था. ये अपने एजेंटों करमपाल उर्फ कम्मा और अमनप्रीत के माध्यम से चिट्टा/हेरोइन सहित मादक दवाओं की आपूर्ति के लिए काम कर रहा था.
रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री यानी बैंक लेनदेन, सीसीटीवी फुटेज और प्रार्थी व एनआईटी हमीरपुर के छात्रों के बीच हुई व्हाट्सएप चैट, प्रार्थी के खिलाफ प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप की ओर इशारा करती है. यहां तक कि स्टेटस रिपोर्ट से पता चला कि मृतक छात्र सुजल शर्मा की मौत हेरोइन/चिट्टा के अत्याधिक सेवन के कारण प्रार्थी के आदेश पर ही हुई. ये प्रार्थी एनआईटी हमीरपुर के लिए मुख्य तस्कर था. पुलिस के अनुसार प्रार्थी ढींडसा कॉलोनी, खरड़ पंजाब से मुख्य आपूर्तिकर्ताओं रवि चोपड़ा और अंकुश शर्मा से 2,800 रुपये से 3,000 रुपये प्रति ग्राम की दर से हेरोइन/चिट्टा खरीदता था. अवैध गतिविधियों से लाभ कमाने के लिए ये हेरोइन/चिट्टा एनआईटी, हमीरपुर और अन्य जगहों पर 8,000/- रुपये से 10,000/- रुपये प्रति ग्राम की दर से बेचा जा रहा था.