नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान जारी है. वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि, 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से महाराष्ट्र में कोई बड़ी कहानी नहीं बनी. उन्होंने कहा कि, लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में सत्तारूढ़ महायुति पर एमवीए को बढ़त दी और विधानसभा चुनाव में भी यही रूझान दिखाएंगे.
बता दें कि, महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे. यहां मतदान से पहले सोमवार को सभी 288 सीटों के लिए प्रचार समाप्त हो गया. चव्हाण ने ईटीवी भारत से कहा कि, 2024 के लोकसभा चुनाव में एमवीए को 48 में से 30 सीटों के साथ भारी और निर्णायक जनादेश मिला था. उन्होंने कहा कि, लोकसभा चुनावों पर हावी रहे मुद्दे खत्म नहीं हुए हैं और कोई कारण नहीं है कि लोग इस बार अलग तरीके से वोट करें. इसका मतलब यह होगा कि एमवीए को फिर से महायुति पर बढ़त मिलेगी.
चव्हाण ने आगे कहा कि, लोकसभा चुनावों की तरह, एमवीए ने विधानसभा चुनावों के लिए भी अपने सामाजिक कल्याण एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए गारंटी और जाति जनगणना पर विशेष जोर और 50 प्रतिशत कोटा सीमा को पार करना शामिल था. पूर्व सीएम ने आगे कहा कि, महाराष्ट्र में 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में हावी होने वाले मुद्दे विधानसभा चुनावों से पहले और भी तीव्र हो गए हैं. उन्होंने कहा कि, लोग भाजपा के शासन को लेकर आश्वस्त नहीं थे. मतदाता सत्तारूढ़ गठबंधन से नाराज थे क्योंकि उन्होंने वादे पूरे नहीं किए.
कराड से मौजूदा विधायक चव्हाण फिर से सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, उन्होंने भाजपा पर पलटवार किया जिसने एमवीए द्वारा किए गए वादों के वित्तीय निहितार्थों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा, "हमने बुनियादी गणना कर ली है और हम प्रबंधन करेंगे. पूर्व सीएम ने कहा कि, चुनावी वादों को पूरा करने में कोई समस्या नहीं होगी. चव्हाण ने कहा कि महायुति के भीतर 'भ्रम' और सत्तारूढ़ भगवा पार्टी के विभाजनकारी एजेंडे बनाम विपक्षी समूह के समावेशी एजेंडे की तुलना में एमवीए के बीच 'एकता कारक' भी 20 नवंबर के विधानसभा चुनावों में प्रमुख कारक थे.
उन्होंने कहा कि, 'बटेंगे-काटेंगे' और 'एक हैं तो सुरक्षित हैं' जैसी टिप्पणियों ने मतदाताओं को याद दिलाया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास उपलब्धियों के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है और वह केवल मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की अपनी पुरानी चाल का सहारा ले रहा है. लेकिन लोग समझदार हैं और ऐसे खेलों को समझ सकते हैं. एमवीए इस दौरान लोगों के सामने आने वाले मुद्दों और उन्हें हल करने की योजना के बारे में बात करता रहा."
पूर्व मुख्यमंत्री ने किसी भी सीट अनुमान का हवाला देने से परहेज किया, हालांकि उन्होंने एमवीए के लिए बढ़त का दावा करते हुए कहा कि '23 नवंबर को परिणाम के दिन तक इंतजार करना बेहतर था.' पूर्व मुख्यमंत्री ने सहमति व्यक्त की कि कुछ भाजपा नेताओं और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे-काटेंगे' नारे के खिलाफ आवाज उठाई, जो सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर 'बेचैनी' दिखाता है. उन्होंने कहा, "इस तरह की टिप्पणियों ने निश्चित रूप से सत्तारूढ़ गठबंधन को मुश्किल में डाल दिया है."
कांग्रेस के दिग्गजों ने कहा कि, एमवीए का संयुक्त अभियान और जमीन पर स्थानीय टीमों का समन्वय अच्छा रहा और इसने एक महत्वपूर्ण चुनाव से पहले लोगों तक पहुंचने के प्रयास को बढ़ावा दिया, जिसे देश भर में आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक दलों द्वारा भी देखा जा रहा था.
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