शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की नशा मुक्ति केंद्र खोलने के प्रति उदासीन नीयत पर कड़ी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि नशे जैसी सामाजिक बुराई से निपटने के लिए सरकार कतई गंभीर नहीं दिख रही है. इस संदर्भ में अदालत ने सरकार को सकारात्मक सोच दिखाने की हिदायत के साथ ही ताजा स्टेट्स रिपोर्ट भी दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से अदालत में सिर्फ इतना बताया गया कि सभी जिला अस्पतालों, नागरिक चिकित्सालयों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नशामुक्ति सुविधाएं शुरू कर दी गई हैं. अदालत ने इसे नाकाफी बताया. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि सरकार की स्टेट्स रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि इस बुराई से निपटने के लिए सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. इससे पहले सरकार ने नशा मुक्ति केंद्र खोलने में बड़े पैमाने पर भूमि की जरूरत बताई थी.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि हिमाचल में नशाखोरी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. सरकार से ये उम्मीद की जाती है कि वह नशा मुक्ति अभियान में तेजी लाने के लिए केंद्रों की स्थापना करेगी, लेकिन इस अभियान के लिए बड़े पैमाने पर भूमि की तलाश करने पर अड़ना सरकार की उदासीन मंशा जाहिर करता है.