कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में सफर को बेहतर बनाने के लिए कीरतपुर से मनाली फोरलेन सड़क का निर्माण किया गया है. इस फोरलेन सड़क पर सफर करना सैलानियों के साथ स्थानीय लोगों के लिए महंगा साबित हो रहा है. एनएचएआई ने यहां पर टोल प्लाजा स्थापित किए हैं. इसके चलते मंडी के टकोली और जिला कुल्लू के रायसन में बने टोल प्लाजा को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भी रोष है.
40 किलोमीटर की दूरी में है दो टोला प्लाजा
केंद्र सरकार के जारी नियमों के मुताबिक 60 किलोमीटर से पहले कोई टोल नहीं हो सकता लेकिन इन दोनों टोल के बीच की दूरी करीब 40 किलोमीटर है. ऐसे में कुल्लू-मनाली घूमने आने वाले सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी टोल शुल्क देना पड़ता है. हालांकि साल 2023 में आई बाढ़ के बाद टकोली का टोल प्लाजा और रायसन का टोल प्लाजा बंद कर दिया गया था लेकिन बीते दिनों ही मंडी जिला के टकोली टोल प्लाजा को शुरू कर दिया गया है. वहीं, रायसन के टोल प्लाजा को भी शुरू करने की तैयारी एनएचएआई कर रहा है लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते फिलहाल इसे शुरू नहीं किया गया है.
फोरलेन संघर्ष समिति के अलावा टोल प्लाजा संघर्ष समिति लगातार इस मुद्दे को प्रदेश और केंद्र सरकार के समक्ष भी रख रही है. बीते दिनों जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह मनाली आए थे तो स्थानीय लोगों ने इसी मुद्दे को लेकर उनसे मुलाकात भी की थी. अब देखना यह होगा कि एनएचएआई आखिर कब अपने नियमों के अनुसार इस मामले में कार्रवाई करती है ताकि स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानियों को भी टोल प्लाजा शुल्क से राहत मिल सके.
चंडीगढ़ से मनाली के बीच हैं 5 टोल प्लाजा
चंडीगढ़ से मनाली की अगर बात करें तो सैलानियों को अपने वाहन में सबसे पहले पंजाब के कुराली में टोल शुल्क देना पड़ता है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार गड़ा मोड़, सुंदरनगर के समीप बालोह, टकोली टोल प्लाजा और रायसन टोल प्लाजा में शुल्क देना पड़ता है. वहीं मनाली के रांगड़ी में प्रदेश सरकार ने ग्रीन टैक्स बैरियर स्थापित किया है.
ग्रीन टैक्स और टोल टैक्स का कुल शुल्क
कुराली टोल प्लाजा में 60 रुपये, गड़ा मोड़ में 150 रुपये, बालोह में 65 रुपये, टकोली में 105 रुपये और रायसन टोल प्लाजा में 80 रुपये शुल्क देना पड़ता है. इसके अलावा रांगड़ी में भी 300 रुपये ग्रीन टैक्स के रूप में देना पड़ रहा है. ऐसे में सैलानियों को चंडीगढ़ से मनाली पहुंचने के लिए एक तरफ के 760 रुपये देने पड़ रहे हैं. बता दें कि ग्रीन टैक्स हिमाचल नंबर की गाड़ियों पर नहीं लगता.
टोला प्लाजा संघर्ष समिति ने उठाया मामला
टोला प्लाजा संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष घनश्याम कपूर ने बताया "साल 2023 में बाढ़ के चलते अभी भी सड़क मार्ग बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है. बीते साल जब रायसन और टकोली टोल प्लाजा की दूरी मापी गई थी तो वह 60 किलोमीटर पूरी नहीं हुई थी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जब कुल्लू आए थे तो उन्होंने भी अधिकारियों को आदेश दिए थे कि वे जल्द इस मामले में संज्ञान लें लेकिन एनएचएआई के अधिकारियों ने अभी तक इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया है."
टोल प्लाजा की दूरी अगर 60 किलोमीटर निकलती है तो इसे शुरू किया जाए लेकिन अगर टोल प्लाजा की दूरी 60 किलोमीटर से कम है तो रायसन का टोल प्लाजा तुरंत हटा देना चाहिए ताकि घाटी के किसानों, बागवानों के साथ-साथ सैलानियों को भी इस टोल शुल्क से राहत मिल सके
डीसी कुल्लू को दिया गया ज्ञापन
जिला कुल्लू फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश सेन ने कहा "डीसी कुल्लू के माध्यम से प्रदेश और केंद्र सरकार को इस मामले को लेकर ज्ञापन भेजा गया है और मांग रखी गई है कि नियमों के अनुसार इस टोल को तुरंत हटाया जाए. वरना एनएचएआई के अधिकारियों को आम जनता के रोष का सामना करना पड़ेगा"
क्या कहते हैं पर्यटन कारोबारी?
मनाली के पर्यटन कारोबारी मुकेश ठाकुर, जसवंत ठाकुर मनु शर्मा ने बताया कि फोरलेन बनने के बाद यहां पर सैलानियों की संख्या बढ़ी है लेकिन बार-बार टोल प्लाजा आने से उन्हें भी आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है. हालांकि सफर पहले के मुकाबले आसान हुआ है लेकिन मंडी से लेकर मनाली तक सड़क मार्ग अभी तक पूरा नहीं बन पाया है और कई जगहों पर सड़क मार्ग अभी भी क्षतिग्रस्त है. ऐसे में जब तक मंडी से मनाली तक सड़क पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती है तब तक टकोली और रायसन टोल प्लाजा को बंद रखना चाहिए ताकि सैलानियों को इस टोल शुल्क से राहत मिल सके.
डीसी कुल्लू ने दिया आश्वासन
डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश ने बताया "टोल प्लाजा संघर्ष समिति और फोरलेन संघर्ष समिति के द्वारा उन्हें इस मुद्दे से अवगत करवाया गया है. इस मामले में एनएचएआई के अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा. प्रदेश और केंद्र सरकार को भी इस बारे में अवगत करवाया जाएगा. टोल प्लाजा मामले में जो भी नियम है. उन्हें सरकार के द्वारा लागू किया जाएगा."