शिमला: हिमाचल में बाहरी राज्यों के लोगों की ओर से धारा 118 की मंजूरी लेकर खोले गए होम स्टे को बंद करने पर सरकार आने वाले दिनों में बड़ा फैसला ले सकती है. प्रदेश में बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार ने विकल्प के तौर पर स्टे खोलने की योजना शुरू की थी, लेकिन हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर बाहरी राज्यों के बहुत से लोगों ने सरकार से अनुमति लेकर धारा 118 के नियमों दुरुपयोग कर होम स्टे खोल दिए हैं.
शिमला में हिमाचल प्रदेश होमस्टे नियम-2024 का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में आयोजित हुई. जिसमें इस तरह कड़े फैसले लिए जाने को लेकर चर्चा की गई. जिस पर अब अगली बैठक में अंतिम निर्णय होना है. प्रदेश में बिना पंजीकरण चल रहे होम स्टे और बीएंडबी को बंद करने पर भी चर्चा हुई. उप-समिति के सदस्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने प्रस्तावित प्रारूप तैयार करने के लिए भी बहुमूल्य सुझाव दिए. इस दौरान पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग प्रारूप नियमों को संशोधित कर आगामी बैठक में उप-समिति के समक्ष लाया जाएगा.
क्या है धारा 118 ?
हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 (Himachal Pradesh Tenancy and Land Reforms Act 1972) के तहत हिमाचल के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है. इस एक्ट में धारा 118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध होगा, यानी हिमाचल का गैर-कृषक भी यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता है. हिमाचल में धारा 118 की जरूरत इसलिए पड़ी कि प्रदेश को साल 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. देश के 18वें राज्य के रूप में हिमाचल अस्तित्व में आया तो एक साल बाद ही भूमि सुधार कानून लागू हो गया. कानून की धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि की जमीन निजी उपयोग के लिए नहीं खरीद सकता है. फिर लैंड सीलिंग एक्ट में कोई भी व्यक्ति 150 बीघा जमीन से अधिक नहीं रख सकता.