प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नजूल अध्यादेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है और महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने हेमंत गुप्ता, सुनील गुप्ता व हाईकोर्ट से रिटायर जस्टिस दिलीप गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, सीनियर एडवोकेट राहुल श्रीपत व अधिवक्ता तरुण अग्रवाल व राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह को सुनकर दिया है. मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने एडीएम नजूल की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर कोर्ट को बताया कि अभी सर्वे हो रहा है, याचियों के खिलाफ कोई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं होगी और न ही ध्वस्तीकरण होगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि न्यायालय की अनुमति के बगैर याचियों पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
याचिका में कहा गया है कि नजूल भूमि को लेकर न्यायालय के कई निर्णय हैं. अर्जी पर विचार करने का आदेश है. अर्जियां सरकार के समक्ष विचाराधीन हैं. ऐसे में नजूल अध्यादेश कोर्ट के फैसलों पर प्रभावी हो रहा है. साथ ही यह अध्यादेश याचियों के कानूनी अधिकार मनमाने ढंग से छीनने वाला है. कहा गया कि डॉ अशोक तहलियानी व अमरनाथ भार्गव के केस में डिक्री पारित हो चुकी है. सरकार के समक्ष अर्जी लंबित है इसलिए अंतरिम राहत पर विचार किया जाए. इस अध्यादेश से सरकार ने नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने प्रकरण विचारणीय मानते हुए याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है.