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High Court: सहमति से संबंध बनाने वाले किशोरों के खिलाफ पॉक्सो का हो रहा दुरुपयोग - HC angry over misuse of POCSO

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो के दुरुपयोग पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, सहमति से संबंध बनाने वाले किशोरों के खिलाफ पॉक्सो का दुरुपयोग हो रहा है. अदालतें बुद्धिमानी से करें कानून का उपयोग

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 5, 2024, 10:59 PM IST

पॉक्सो पर हाईकोर्ट का अहम निर्णय
पॉक्सो पर हाईकोर्ट का अहम निर्णय (PHOTO credits Navendu family)

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए बनाए गए पॉक्सो कानून के क्रियान्वयन के बारे में चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि, आपसी सहमति से वैवाहिक रिश्ता बनाने वालों के खिलाफ पॉक्सो कानून का दुरुपयोग हो रहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि, न्यायालयों को इस कानून का इस्तेमाल बुद्धिमानी से करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि, पॉक्सो के प्रयोग से अनजाने में उन लोगों का नुकसान न हो, जिनकी रक्षा के उद्देश्य से इसे बनाया गया है. न्यायमूर्ति ने कृष्ण पहल ने सतीश उर्फ चांद की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की.

दरअसल देवरिया निवासी सतीश उर्फ चांद पर थाना बरहज में दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है. सतीश पर आरोप लगाया गया है कि, वह शिकायतकर्ता की नाबालिक बेटी को 13 जून 2023 को बहला-फुसलाकर भगा ले गया था. वह 5 जनवरी 2024 से जेल में बंद है और उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है.

याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि, आरोपी को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. पीड़ित ने अपने बयान में कहा है कि, वह 18 साल की थी. दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे और अपने माता-पिता के डर से भागकर एक मंदिर में शादी कर ली थी. दोनों एक ही गांव के हैं और पड़ोसी हैं. पीड़ित ने एक लड़की को जन्म दिया है. वहीं आरोपी अपने बच्चे का पालन-पोषण करना चाहता है. वह अपनी विवाहित पत्नी और नवजात बच्चे को अपने पास रखने के लिए इच्छुक है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्काें को सुनने के बाद कहा कि, कथित पीड़ित के बयान पर उचित विचार किया जाना चाहिए. यदि रिश्ता सहमति से और आपसी स्नेह पर आधारित है, तो इसे जमानत और अभियोजन से संबंधित निर्णयों में शामिल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि वह अपनी पत्नी (पीड़ित) और बच्चे की देखभाल करने के लिए इच्छुक है. जमानत मंजूर करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को रिहा होने की तारीख से छह महीने के अंदर नवजात बच्चे के नाम पर दो लाख रुपये की धनराशि जमा करने का निर्देश दिया है.

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