उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

हाईकोर्ट फैसला; 2500 रुपये में भरण-पोषण मिडिल क्लास महिला के लिए संभव नहीं, साधारण जीवन के लिए बहुत कम - HIGH COURT NEWS

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण पोषण के मामले में दिया आदेश, रामपुर जेल में बंदी की खुदकुशी मामले में हेड वार्डन से मुआवजा वसूली पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

प्रयाराजः भरण पोषण के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मध्यम वर्गीय महिला के लिए 25 सौ रुपये मामूली राशि से भरपेट भोजन कर पाना लगभग संभव नहीं है. यह राशि जीवन यापन के लिए काफी कम है. कोर्ट ने दिसंबर 2024 से अंतरिम भरण पोषण 10 हजार रुपये देने का निर्देश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आवेदन दाखिल करने की तिथि 1 सितंबर 2014 से लेकर नवंबर 2024 तक अंतरिम भरण-पोषण राशि 2500 रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से दिया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने चंदौली निवासी शिल्पी शर्मा की पुनरीक्षण अर्जी पर दिया.


याची शिल्पी शर्मा की शादी गाजियाबाद के राहुल शर्मा से हुई थी. दोनों में विवाद के बाद शिल्पी ने 2014 को पारिवारिक न्यायालय में भरण पोषण भत्ता के लिए अर्जी दाखिल की. 7 सितंबर 2016 को पारिवारिक न्यायालय ने 25 सौ रुपये अंतरिम भरण पोषण आदेश जारी किया. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याची शिल्पी के वकील ने कहा कि पति की आय 4 लाख रुपये प्रति माह से अधिक है. पति की आय घोषित आय से कहीं ज्यादा है. ऐसे में उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए कम से कम 50 हजार रुपये महीने की जरूरत है.

वहीं, पति के वकील ने इसका विरोध किया. दलील दी कि पति ने 2016 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. उसकी पत्नी बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने वैवाहिक घर से चली गई. उसने वैवाहिक संबंध को फिर से बहाल करने का कभी प्रयास नहीं किया. कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची को दिए गए अंतरिम भरण-पोषण की राशि आज की बाजार स्थितियों में एक साधारण जीवन जीने के लिए बहुत कम है. न्यायालय ने पुनरीक्षण अर्जी स्वीकार कर ली.

रामपुर जेल में बंदी की आत्महत्या मामले में हेड जेल वार्डन से मुआवजा वसूली पर रोक
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर जिला जेल में महिला बंदी की खुदकुशी मामले में हेड जेल वार्डन से मुआवजा वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर छह सप्ताह में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने अनीता रानी की याचिका पर अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र को सुनकर दिया है. अधिवक्ता का कहना है कि याची रामपुर जिला जेल में 2016 में तैनात थी. उसी समय अन्य बंदियों के साथ गीता भी महिला बैरक में निरुद्ध थी, जिसने खुदकुशी कर ली. मामला मानवधिकार आयोग पहुंचा. आयोग ने 30 हजार रुपये बतौर मुआवजा याची को भुगतान करने का निर्देश दिया. एसीजेएम ने भी मामले की जांच की, जिसमें याची को कदाचार का दोषी नहीं माना. इसके बावजूद गत 24 अक्टूबर के आदेश से याची से वसूली का आदेश दिया गया, जिसे चुनौती दी गई है. कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए जिला जेल अधीक्षक के वसूली आदेश पर रोक लगा दी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details