लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक ही अनुतोष प्राप्त करने के लिए पुरानी याचिका को छिपाकर दोबारा याचिका दाखिल करने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि यह मामला ‘फोरम शॉपिंग’ (अपनी पसंद का आदेश प्राप्त करने के लिए किसी विशेष बेंच में मामले की सुनवाई कराने का प्रयास) का एक उदाहरण है. न्यायालय ने लखनऊ बेंच के वरिष्ठ निबंधक को आदेश दिया कि यदि हर्जाने की रकम 30 दिनों में जमा नहीं की जाती तो आरसी जारी करते हुए सम्बंधित कलेक्टर के द्वारा वसूली करवाई जाए. न्यायालय ने हर्जाने की रकम को महिला और बाल विकास विभाग द्वारा संचालित बालिका गृह लखनऊ को देने के भी आदेश दिए हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने डॉ. फैसल खान और एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचियों की ओर से उनके खिलाफ कोतवाली, बाराबंकी में धोखाधड़ी, कूटरचना और अन्य आरोपों को लेकर दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान याचिका की पोषणीयता के प्रश्न पर याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने दलील दी कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर को निरस्त किया जा सकता है.
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