जबलपुर:हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के एक मामले मामले में कई अवसर देने के बावजूद जवाब नहीं देने पर प्रदेश सरकार पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को निर्धारित की है.
मामला नर्मदा बचाओ आंदोलन की जनहित याचिका से संबंधित है. कोर्ट ने 15 हजार रुपये नर्मदा बचाओ आंदोलन व 15 हजार रुपये हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के कोष में जमा करने के निर्देश दिए हैं.
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नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने बताया कि नए भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में एक गुणांक जो कि एक से दो के बीच होगा से गुणा किया जाएगा. शहरी क्षेत्र से जितनी अधिक दूरी होगी यह गुणांक उतना ही बढ़ जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की कीमतें कम होने के कारण यह प्रावधान रखा गया है. परन्तु मध्य प्रदेश सरकार ने इसका उल्लंघन करते हुए सभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह गुणांक एक निर्धारित कर दिया है. जिससे ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित होने पर उन्हें बहुत कम मुआवजा मिलता है.
राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने दाखिल की है जनहित याचिका