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मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग के 27 परसेंट आरक्षण पर फिर ब्रेक, सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट - MP OBC RESERVATION CASE

मध्यप्रदेश में ओबीसी के 27 परसेंट आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है. जानिए अब आगे क्या?

MP OBC RESERVATION CASE
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाई (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 6:43 PM IST

जबलपुर : मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27% करने की राह में फिर रुकावट आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़े 22 मामलों में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सुनवाई से रोक दिया है. अब इन मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी. बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से 75 मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किए गए हैं. इनमें से 22 मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्शन भी कर दिया है. कुल मिलाकर जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हरी झंडी नहीं देता, तब तक मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण नहीं दिया जा सकता.

एमपी हाई कोर्ट ने याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर की

बता दें कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% से बढ़कर 27% कर दिया था. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कमलनाथ सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी. इसी से जुड़ी लगभग 75 याचिकाएं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रही थी लेकिन इस बीच में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इन याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता रामेश्वर सिंह (ETV BHARAT)

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई पर लगाई रोक

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के मामले की सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 9 याचिकाओ पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को डायरेक्शन दिया है कि वह इस मामले की सुनवाई न करें. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 13 याचिकाओं के मामले में भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी. अब कुल मिलाकर 22 याचिकाएं ऐसी हो गई हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी.

पिछले दिनों हाई कोर्ट के फैसले से राह हुई थी आसान

दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते दिनों 27% आरक्षण को चुनौती देने वाली एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के संगठनों के माध्यम से यह बात जाहिर की गई थी कि मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब तक इन 75 याचिकाओं का फैसला नहीं हो जाता, तब तक 27% आरक्षण को पूरी तरह लागू हुआ नहीं माना जा सकता.

पिछड़ा वर्ग के लिए 27 परसेंट आरक्षण फिलहाल लागू नहीं

इन 75 याचिकाओं में मध्य प्रदेश सरकार की 27% आरक्षण को चुनौती दी गई है. इनमें से कुछ याचिकाओं में सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. इसलिए फिलहाल यह स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाला 27 प्रतिशत आरक्षण अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है. पिछला वर्ग की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया "मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था. इसलिए राज्य सरकार ने याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करवा लिया है."

जबलपुर : मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27% करने की राह में फिर रुकावट आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़े 22 मामलों में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सुनवाई से रोक दिया है. अब इन मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी. बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से 75 मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किए गए हैं. इनमें से 22 मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्शन भी कर दिया है. कुल मिलाकर जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हरी झंडी नहीं देता, तब तक मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण नहीं दिया जा सकता.

एमपी हाई कोर्ट ने याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर की

बता दें कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% से बढ़कर 27% कर दिया था. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कमलनाथ सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी. इसी से जुड़ी लगभग 75 याचिकाएं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रही थी लेकिन इस बीच में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इन याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट अधिवक्ता रामेश्वर सिंह (ETV BHARAT)

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई पर लगाई रोक

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के मामले की सुनवाई हुई. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 9 याचिकाओ पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को डायरेक्शन दिया है कि वह इस मामले की सुनवाई न करें. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 13 याचिकाओं के मामले में भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी. अब कुल मिलाकर 22 याचिकाएं ऐसी हो गई हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी.

पिछले दिनों हाई कोर्ट के फैसले से राह हुई थी आसान

दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते दिनों 27% आरक्षण को चुनौती देने वाली एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के संगठनों के माध्यम से यह बात जाहिर की गई थी कि मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू हो गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब तक इन 75 याचिकाओं का फैसला नहीं हो जाता, तब तक 27% आरक्षण को पूरी तरह लागू हुआ नहीं माना जा सकता.

पिछड़ा वर्ग के लिए 27 परसेंट आरक्षण फिलहाल लागू नहीं

इन 75 याचिकाओं में मध्य प्रदेश सरकार की 27% आरक्षण को चुनौती दी गई है. इनमें से कुछ याचिकाओं में सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है. इसलिए फिलहाल यह स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाला 27 प्रतिशत आरक्षण अभी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है. पिछला वर्ग की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया "मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था. इसलिए राज्य सरकार ने याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करवा लिया है."

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