ग्वालियर:हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है. जिसमें मल्टीप्लेक्स और थिएटर पर फिल्म दिखाने के नाम पर लोगों के मौलिक अधिकारों का अपने फायदे के लिए हनन करने का आरोप लगाया गया है. यह जनहित याचिका एक लॉ स्टूडेंट ने दायर की है. 24 फरवरी को हाईकोर्ट इस पर सुनवाई करेगा. दरअसल, छात्रा स्वाति अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने इस मामले में यूनियन ऑफ इंडिया, मिनिस्ट्री आफ ब्रॉडकास्टिंग, एक्साइज कमीशन एवं फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाया है.
'20 मिटर देर से शुरू की जाती है फिल्म'
स्वाति अग्रवाल का कहना है कि "मल्टीप्लेक्स और थिएटर में फिल्म दिखाने की टाइमिंग अलग होती है, लेकिन जब दर्शक थिएटर या मल्टीप्लेक्स में जाता है, तो वहां उसे 15 से 20 मिनट तक अनचाहे विज्ञापन झेलने पड़ते हैं. इससे दर्शकों का समय खराब होता है.
लॉ स्टूडेंट स्वाति अग्रवाल ने दायर की जनहित याचिका (ETV Bharat) जबकि थिएटर संचालक इस विज्ञापन से पैसा कमाते हैं. यह संविधान की मूल धारा का उल्लंघन है. फिल्म टिकट और प्रदर्शन करने वाली कंपनी के बीच एक कांटेक्ट्रेक्ट होता है, जिसमें फिल्म प्रदर्शन के समय को बताया जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी लगभग 20 मिनट तक ऐड दिखाने के बाद फिल्म शुरू की जाती है."
'नागरिकों के व्यक्तिगत आजादी के अधिकार का हनन'
याचिकाकार्ता स्वाती का कहना है कि "इस तरह से थिएटर्स, दर्शकों को बंधक बना लेते हैं. उनके पास इंतजार के अलावा दूसरा विकल्प नहीं रहता है. उन्हें मजबूरी में कमर्शियल विज्ञापन देखने पड़ते हैं, जिससे कंपनियों को मोटा मुनाफा होता है." उन्होंने बताया कि यह संविधान के आर्टिकल 21 के तहत व्यक्तिगत आजादी का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता स्वाति अग्रवाल का कहना है कि "याचिका में जो सब्जेक्ट उठाया गया है वह सिनेमाघरों में फिल्म देखने वाले हर दर्शकों से संबंध रखता है."
24 फरवरी से हाइकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई
हाईकोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए सुरक्षित कर लिया है और 24 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता का कहना है कि "केंद्र सरकार को फिल्म प्रदर्शन से जुड़े नियम नए सिरे से बनाने चाहिए ताकि लोगों की अनावश्यक रूप से समय की बर्बादी न हो." उन्होंने देश के सभी सिनेमा ऑपरेटरों, पीवीआर, इनॉक्स, सिनेपोलिस, फन सिनेमा गोल्ड को भी पक्षकार बनाया है.