गयाःहोली एक ऐसा त्योहार है जिसमें बड़े-छोटों का भेद मिट जाता है तो गिले-शिकवे भूलकर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं.रंग-गुलाल से धरती-आसमान लाल हो जाते हैं और ढोल-झाल की ताल पर जमकर धमाल होता है. त्योहार के बाद भी आपकी खुशियां बरकरार रहे इसके लिए जरूरी है कि केमिकल मिले रंग-गुलाल से बचा जाए. ऐसे में गया में तैयार हो रहाहर्बल गुलालआपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, जिसकी डिमांड अब विदेशों में भी हो रही है.
सब्जियों के पत्ते और फूलों से तैयार होता है गुलाल: प्रकृति का श्रृंगार कहे जानेवाले होली के त्योहार को हर्बल रंग-गुलाल का उपहार देकर गया के ढुंगेश्वरी लारपुर की महिलाओं ने इसे और रंगीन बना दिया है. बाजार में बिक रहे केमिकल भरे रंग-गुलाल की जगह सब्जियों की पत्तियों और फूलों से तैयार ये हर्बल गुलाल वाकई कमाल का है.पालक के पत्ते, सेम के पत्ते, पलाश के फूल, गेंदे के फूल और गुलाब के फूल से तैयार हो रहा ये हर्बल गुलाल विदेशों तक धमाल मचा रहा है.
कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल ?: हर्बल गुलाल बनानेवाली मुन्नी देवी बताती हैं कि " हर्बल गुलाल बनाने के लिए सब्जियों के पत्तियों या फिर फूलों को उबालकर उसमें अररोट मिलाकर गूंथा जाता है और फिर मिश्रण को सूखने के लिए धूप में डाल देते हैं. जब मिश्रण सूख जाता है, तो पलवलाइजर मशीन में डाल देते हैं और फिर निकलता है पूरी तरह से प्राकृतिक हर्बल गुलाल."
अलग-अलग रंगों के लिए अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल:हर्बल गुलाल बनानेवाली महिलाएं बताती हैं कि "वे कई रंगों के गुलाल तैयार करती हैं. हरे गुलाल के लिए पालक और सेम के पत्तों का इस्तेमाल होता है तो पीले गुलाल के लिए गेंदे का फूल इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह लाल गुलाल के लिए पलाश के फूल और गुलाबी के लिए गुलाब के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए उसमें थोड़ा चेहरे पर लगाने वाला पाउडर मिलाया जाता है, जो सत्यापित ब्रांडेड कंपनी का होता है."