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राजधानी के अस्पतालों में हीमोफीलिया के मरीजों को नहीं मिल पा रहा पर्याप्त इलाज, उपराज्यपाल को पत्र लिखकर की मांग - Hemophilia Patient Treatment - HEMOPHILIA PATIENT TREATMENT

दिल्ली के चार से पांच बड़े अस्पतालों में हीमोफीलिया के इलाज की सुविधा बेहतर नहीं है. व्यवस्थाओं की कमी है. दिल्ली में हीमोफीलिया के 3500 मरीज पंजीकृत हैं.

हीमोफिलिया के मरीजों के इलाज को लेकर एलजी को लेटर
हीमोफिलिया के मरीजों के इलाज को लेकर एलजी को लेटर (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 17, 2024, 11:34 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में इलाज के अभाव में हीमोफीलिया के मरीज परेशान हो रहे हैं. अब बात स्वास्थ्य सचिव और उपराज्यपाल तक पहुंच गई है. दरअसल, दिल्ली के जिन सरकारी अस्पतालों में हीमोफीलिया का इलाज उपलब्ध है, अब वहां भी मरीजों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में इलाज की मांग को लेकर हीमोफीलिया सोसायटी ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार को पत्र लिखकर इन मरीजों के लिए पर्याप्त इलाज की सुविधा की मांग की है.

सोसायटी के अध्यक्ष देवेंद सैनी ने बताया कि दिल्ली में हीमोफीलिया के करीब साढ़े तीन हजार मरीज पंजीकृत हैं. इन मरीजों को दिल्ली सरकार के मध्य दिल्ली के लोकनायक, पश्चिमी दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) और पूर्वी दिल्ली के गुरू तेग बहादुर (जीटीबी) सहित अन्य अस्पताल में इलाज की सुविधा मिलती है. लेकिन इन दिनों हीमोफिलिया के मरीजों को फैक्टर आठ के इंजेक्शन की सुविधा, फिजियोथेरेपी की सुविधा और अल्ट्रासाउंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. इसके अलावा इन मरीजों को दूसरी समस्याएं भी हो रही हैं.

सोसायटी ने मांग रखी है कि हीमोफीलिया के मरीजों के स्वास्थ्य और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इन समस्याओं को दूर करना चाहिए. साथ ही, मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए अविलंब जरूरी एवं उपयोगी इंजेक्शन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

वहीं, इस संबंध में लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीजों के लिए इलाज की पर्याप्त सुविधा है. सोसायटी के लोग कुछ चयनित इंजेक्शन की सुविधा मांग रहे हैं, जबकि अस्पताल में सरकार के चयन के तहत यह सुविधा मिलती है. फिलहाल, सोसायटी की मांग को आगे भेज दिया गया है. नियम के तहत इस पर विचार किया जाएगा. आगे से जैसा निर्देश मिलेगा उसके अनुसार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

हीमोफीलिया क्या है ?
डॉक्टर के अनुसार, हीमोफीलिया एक आनुवंशिक बीमारी है जो पुरुषों में होती है और महिलाओं के द्वारा फैलती है. इस बीमारी में अक्सर लोगों के खून का थक्का नहीं जमता है. कहीं पर जब चोट लगती है तो खून का बहाव रोकना एक बड़ी चुनौती होती है. रक्त का बहाव ना रुकने के कारण यह कई बार खतरनाक और जानलेवा भी साबित हो जाता है. रक्त का थक्का न जमने का एक कारण खून में एक फ्लोटिंग फैक्टर (थ्राम्बोप्लास्टिन) की कमी के कारण होती है.

हीमोफीलिया के इलाज में समस्या
लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के सीएमओ डॉक्टर चेतन चौहान के अनुसार, हीमोफीलिया के उपचार में एक आम दिक्कत आती है और वह है प्लाज्मा से प्राप्त उत्पादों की कमी. वर्तमान समय में दुनिया भर के डॉक्टरों के सामने इस कमी की वजह से हीमोफीलिया का इलाज करने में मुश्किलें आ रही हैं, पर डीएनए से निकाले गए नए रिकॉम्बिनेंट क्लॉटिंग फैक्टर की वजह से हीमोफीलिया के उपचार को एक नई राह मिली है. यह क्लॉटिंग फैक्टर मानव या प्राणी रक्त का प्रयोग किए बगैर बनता है. इस तरह इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता. रिकॉम्बिनेंट क्लॉटिंग फैक्टर में वायरस होने की संभावना नहीं है. अमेरिका और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों ने हीमोफीलिया ग्रस्त मरीजों के लिए रिकॉम्बिनेंट फैक्टर-8 की सिफारिश, रिप्लेसमेंट थेरैपी के पहले विकल्प के तौर पर की है. भारत में अभी यह शुरूआत नहीं हुई है. रिकॉम्बिनेंट क्लॉटिंग फैक्टर रक्त में मौजूद प्राकृतिक क्लॉटिंग फैक्टर्स की तरह ही काम करते हैं.

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