National

नैनीताल सूखाताल झील में सौंदर्यीकरण के नाम पर भारी निर्माण, HC ने निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाया - Uttarakhand High Court

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 2, 2024, 3:35 PM IST

Uttarakhand High Court हाईकोर्ट में नैनीताल के सूखाताल झील में सौंदर्यीकरण के नाम पर रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों पर लगी रोक मामले में सुनवाई हुई. इसी बीच खंडपीठ ने निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाने और सुंदरीकरण से संबंधित सभी कार्यों को तीन माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए.

Uttarakhand High Cou
उत्तराखंड हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के सूखाताल झील में सौंदर्यीकरण के नाम पर हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों पर रोक व अतिक्रमण हटाने को लेकर खुद संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाते हुए झील विकास प्राधिकरण व कुमाऊं मंडल विकास निगम से बचा हुआ निर्माण कार्य व सुंदरीकरण से संबंधित सभी कार्यों को तीन माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए.

आज सुनवाई में झील विकास प्राधिकरण की तरफ से शपथपत्र पेश कर कहा गया कि निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटाया जाए, क्योंकि झील का 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और सुंदरीकरण का कार्य किया जाना है. अभी तक 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, इसलिए पूर्व में कोर्ट द्वारा लगाई रोक को हटाया जाए. जिस पर कोर्ट ने पूर्व के आदेश को संशोधन करते हुए सभी निर्माण कार्य तीन माह के भीतर पूर्ण करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए हैं.

मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ. जीपी शाह और अन्य ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बंद होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था. पत्र में कहा गया था कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं. पत्र में यह भी कहा गया कि झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिए हैं, जिनको अभी तक नहीं हटाया गया है.

पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके हैं, जिसका असर नैनी झील पर देखने को मिल रहा है. कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं है, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पिया करते हैं, अगर वो भी सूख गया तो ये लोग पानी कहां से पीएंगे, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए. पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिला अधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिये पंजीकृत कराया था.

ये भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details