देहरादून: देश-दुनिया में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. उत्तराखंड पर भी इसकी मार पड़ रही है, जिसके चलते अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोत ना सिर्फ सूख गए हैं, बल्कि कई सूखने की कगार पर हैं. इसको देखते हुए राज्य सरकार जलागम क्षेत्र के आधार पर वर्षा जल संरक्षण और जल स्रोतों के पुनर्जीवन को लेकर प्रयास कर रही है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जलागम विकास 2.0 के जरिए राष्ट्रीय स्तर के जन संपर्क अभियान "वाटरशेड यात्रा" शुरू की गई है.
जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भूमि संसाधन विकास भारत सरकार के तहत संचालित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जलागम विकास 2.0 के जरिए राष्ट्रीय स्तर के जनसंपर्क अभियान "वाटरशेड यात्रा" का शुभारंभ किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत संकल्पना के आधार पर वर्षा जल संरक्षण को बहुत अधिक प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गांव-गांव और जन-जन तक जलागम विकास के महत्व की जानकारी पहुंचाने और लोगों को वर्षा जल के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए प्रदेश में वाटरशेड यात्रा को शुरू किया गया है.
सतपाल महाराज ने कहा कि इस यात्रा के तहत प्रदेश के तमाम जिलों के लोग परियोजना क्षेत्र में किए गए कार्यों और इसके परिणाम की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. किसान खेती में अत्यधिक केमिकल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उत्तराखंड में कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. इसकी रोकथाम के लिए भी सरकार प्रयास करेगी.
सतपाल महाराज ने कहा कि इस अभियान में भारत सरकार के जरिए तैयार की गई यात्रा वैन गांव-गांव तक पहुंचेगी और लोगों को जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी करेगी. उन्होंने मृदा और जल संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि उत्तराखंड में डब्ल्यूडीसी पीएमकेएसवाई परियोजना को बेहतर ढंग से लागू करने में जनता की भागीदारी बहुत जरूरी है.
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