नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले पर सुनवाई की. मामले सुनवाई के पश्यचात न्यायमूर्ती पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने अगली सुनवाई हेतु 10 अप्रैल की तिथि नियत की है. जबकि बर्खास्त कर्मचारियों का कहना है कि एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है, यह आदेश विधि विरुद्ध है.
विधानसभा सचिवालय बर्खास्त कर्मचारियों के मामले पर HC में हुई सुनवाई, जानिए क्या है पूरा मामला - Uttarakhand Assembly Secretariat
Uttarakhand Assembly Secretariat Employee Case उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले पर सुनवाई करते हुए 10 अप्रैल को अगली तिथि नियत की है. हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जहां एक ओर तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई.लेकिन उन्हें 6 साल बाद भी नियमित नहीं किया गया.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Mar 18, 2024, 7:05 PM IST
बर्खास्तगी का उल्लेख नहीं:मामले के अनुसार बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ , कुलदीप सिंह व 102 अन्य ने एकलपीठ ने चुनौती दी है. याचिकाओं में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 ,व 29 सितम्बर 2022 को समाप्त कर दी. बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया. कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें सुना गया. जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया है. एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है, यह आदेश विधि विरुद्ध है. विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई है, जिनको नियमित किया जा चुका है.
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कर्मचारियों को नियमित किया जाना था:याचिकाओं में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई. किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया, अब उन्हें हटा दिया गया. पूर्व में उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी. जिसमें कोर्ट ने उनके हित में आदेश देकर माना था, उनकी नियुक्ति वैध है. जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था.