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बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या होने पर न करें देरी, एक्‍सपर्ट से जानिए क्‍या कर सकते हैं आप? - SPEECH DISABLED IN CHILDREN

HEARING AND SPEECH DISABLED IN CHILDREN: बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या होने पर देरी न करें, स्पीच थेरेपी-ऑडियोलॉजी से संभव इलाज है.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या होने पर न करें देरी
बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या होने पर न करें देरी (Etv Bharat)

नई दिल्ली:पैदा होने के बाद बहुत से बच्चों में सुनने और बोलने की क्षमता में कमी पाई जाती है. लेकिन, उनकी इस समस्या को माता-पिता समझ नहीं पाते हैं और वह समस्या फिर बढ़ती चली जाती है. ऐसे बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत होती है. इस तरह की समस्या का समाधान अब संभव है. बच्चों में इस तरह की समस्या के इलाज के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कई कार्यक्रम चला रही है. सरकार की तरफ से ऐसे बच्चों की सर्जरी, स्पीच थेरेपी, ऑडियोलॉजी आदि के लिए बच्चों के माता-पिता को आर्थिक रूप से मदद भी करती है.

सर गंगा राम अस्पताल में को क्लियर इम्प्लांट और स्पीच थेरेपी विशेषज्ञ डॉक्टर आशा अग्रवाल ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बच्चे में सुनने की क्षमता तो गर्भ में भी होती है. तभी तो अभिमन्यु ने गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ने की कहानी सुनी थी. इसलिए बच्चा गर्भ से बाहर आने के बाद अपनी बोलने और सुनने की क्षमता को व्यक्त करने लगता है. कई बार ऐसा न होने पर माता-पिता समझ नहीं पाते हैं और वो बच्चे के बोलने का दो साल तक इंतजार करते हैं.

बच्चों में बोलने और सुनने की समस्या होने पर न करें देरी (ETV BHARAT)

लेकिन, बच्चे की बोलने और सुनने की क्षमता पर थोड़ा सा भी शक होने पर उसकी तुरंत जांच करानी चाहिए. आज के समय में स्पीच थेरेपिस्ट की बहुत मांग है. स्पीच थेरेपिस्ट की संख्या कम होने की वजह से हर किसी को स्पीच थेरेपी की सुविधा मिलना संभव नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि बड़े शहरों में तो फिर भी स्पीच थेरेपिस्ट मिल जाते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में तो इसका बहुत अभाव है.

अगर किसी बच्चे को इस तरह की समस्या है तो उसके माता-पिता को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और बच्चे की सुनने और बोलने की क्षमता की जांच करानी चाहिए. उन्होंने बताया कि इसके लिए हियरिंग स्क्रीनिंग टेस्ट होता है, जो सरकारी और निजी लगभग सभी अस्पतालों में उपलब्ध है. साथ ही इसका खर्च भी ज्यादा नहीं है. अगर बच्चा इसमें अक्षम पाया जाता है तो उसका स्पीच थेरेपी, सर्जरी, ओडियोलॉजी और अन्य कई तरह से इलाज किया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को इस तरह का इलाज 5 साल की उम्र पूरी करने से पहले मिलना चाहिए तभी वह अधिक कारगर होता है.

उन्होंने बताया कि को क्लियर इंप्लांट बहुत महंगे होते हैं. इसकी वजह से यह खरीदना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पता है. इसलिए केंद्र सरकार ने इसके लिए आर्थिक सहायता देने के लिए एडिब योजना चला रखी है. उन्होंने बताया कि सर गंगाराम अस्पताल में 20 साल पहले इस तरह के बच्चों को कॉक्लियर इंप्लांट (सुनने की मशीन) लगाने की सुविधा शुरू हुई थी. आज उसके 20 साल पूरे हुए हैं. इसलिए हमने बोलने और सुनने में सक्षम हुए उन बच्चों के माता-पिता और बच्चों को यहां बुलाया है जिनका इलाज सर गंगा राम अस्पताल से हुआ है. इस अवसर पर स्पीच थेरेपी के माध्यम से बोलने और सुनने की क्षमता को प्राप्त करने वाले कई बच्चों ने मंच से अपने विचार भी रखें.

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