अजमेर. श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) किशोर उम्र बालिकाओं और महिलाओं में होने वाला रोग है. इस रोग में गुप्तांग से सफेद बदबूदार पानी बाहर आता है. जागरूकता के अभाव में रोग होने पर भी रोगी को पता नहीं चलता या यूं कहें इस रोग को हल्के में ले लिया जाता है. इस कारण रोग बढ़ने के साथ परेशानी भी बढ़ जाती है. श्वेत प्रदर रोग को बिल्कुल हल्के में ना लें. इस रोग का विभिन्न चिकित्सा पद्धति में इलाज संभव है. लेकिन हम बात कर रहे हैं यूनानी पद्धति की. यूनानी पद्धति में श्वेत प्रदर को सेलानुर्रहम कहते हैं. यूनानी महिला चिकित्सक डॉ खदीजा से जानते हैं श्वेत प्रदर को लेकर हेल्थ टिप्स...
यूनानी चिकित्सक डॉ खदीजा बताती हैं कि 11 वर्ष से 60 वर्ष की आयु तक की महिलाओं में श्वेत प्रदर आम बीमारी बन चुकी है. अनियमित जीवन शैली और जागरूकता के अभाव में श्वेत प्रदर के रोगी काफी बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं, कामकाजी महिलाएं और गृहणियां परिवार में सबका ख्याल रखती हैं, लेकिन खुद के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दे पाती हैं. इस कारण खानपान में वे लापरवाही बरतने लगती हैं.
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इस अनदेखी के कारण महिलाओं के शरीर में कैल्शियम, थायराइड, विटामिन और मिनरल्स की कमी होने लगती है. उन्होंने बताया कि श्वेत प्रदर रोग शरीर में कैल्शियम की कमी होने के कारण होता है. इस रोग की अनदेखी से विकट समस्या होने लगती है. मसलन गुप्तांग में संक्रमण होने से खुजली और सूजन आ जाती है, जो काफी तकलीफ देय होती है. श्वेत प्रदर की उपचार में जितनी देरी होती है, उतना ही शारीरिक नुकसान रोगी को उठाना पड़ता है.
जागरूकता की है कमी:आमतौर पर देखने में आया है कि श्वेत प्रदर रोग को लेकर महिलाओं में जागरूकता की कमी है. ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी महिलाएं जागरूकता के अभाव में समय पर उपचार नहीं लेती हैं. रोग बढ़ने के बाद ही वह उपचार के लिए चिकित्सक के पास आती है. डॉ खदीजा बताती हैं कि गुप्तांग से सफेद बदबूदार पानी आने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार लेना चाहिए.