हजारीबाग: हजार बागों का शहर 'हजारीबाग' अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पूरे सूबे में जाना जाता है. हजारीबाग शहर दुर्लभ माने जाने वाले कल्पवृक्ष का शहर बनने जा रहा है. शहर में एक बड़ी मुहिम चल रही है, जिसमें कई पर्यावरणविद एक साथ काम कर रहे हैं. हजारीबाग में 'बरगद बाबा' के नाम से जाने जाने वाले सेवानिवृत शिक्षक मनोज कुमार के पहल पर शहर में 101 कल्पवृक्ष लगाने की तैयारी चल रही है. वर्तमान समय में 60 से अधिक कल्पवृक्ष कई सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए हैं. पहले इस बात को गोपनीय रखी गई थी ताकि कहीं उस पौधे की चोरी न हो जाए. हालांकि अब वह पौधे से वृक्ष बनने को तैयार है.
2021 में शुरू हुई कल्पवृक्ष लगाने की मुहिम
कल्पवृक्ष लगाकर उसे पेड़ बनाने की मुहिम 2021 में मेरी धरती-मेरी जिम्मेवारी समूह द्वारा शुरू किया गया था. यह शहर के पर्यावरण प्रेमी और पौधा लगाने वाले लोगों का समूह है. अभी तक 57 पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से 20 पौधे वृक्ष बन रहे हैं. एक भी पौधा मरा नहीं है. समूह के लोग हर साल लोगों से सहायता लेकर कल्पवृक्ष सहित अन्य पौधे लगाते हैं और उसे संरक्षण देते हैं. हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय भी इस मुहिम की मुरीद है. उन्होंने कहा कि बेहद खुशी की बात है कि अपने शहर में विलुप्त होते कल्पतरु के पौधे लगाए जा रहे हैं. समाहरणालय परिसर में सबसे अधिक पौधे लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि हम सभी की जिम्मेवारी है कि उस पौधे की रक्षा और सेवा करें. इस वृक्ष के साथ सनातन धार्मिक मान्यता जुड़ी है कि इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. कामधेनु के साथ कल्पवृक्ष भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इस पेड़ के नीचे ध्यान लगाने से मनोकामना पूर्ण होती है. आयुर्वेदिक दवा बनाने में इसके फल और पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि इंद्र भगवान ने इसे सुरकानन में लगाया था. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने तपोबल से उस वृक्ष को धरती पर लाया.
इन जगहों पर लगाया गया कल्पवृक्ष
हजारीबाग उपायुक्त ने कहा कि यह हम सभी की जिम्मेवारी है कि इस विलुप्त और दुर्लभ प्रजाति की कल्पवृक्ष की रक्षा और सेवा करें. तभी इस शहर की पहचान दूर तलक तक पहुंचेगी. हजारीबाग शहर में पहला कल्पवृक्ष विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में वनस्पति विज्ञान के शिक्षकों ने 15 साल पहले लगाया था. मेरी धरती-मेरी जिम्मेवारी समूह ने 2021 में बुढ़वा महादेव तालाब के किनारे तीन पौधों को लगाया. पौधे 14 फीट से ऊंचे हो गए हैं.