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हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन से जुड़े आलोक शुक्ला गोल्डमैन एनवायरन्मेंटल अवॉर्ड 2024 से सम्मानित - Hasdeo Bachao Andolan

हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन से जुड़े आलोक शुक्ला को प्रतिष्ठित गोल्डमैन एनवायरन्मेंटल अवॉर्ड 2024 (ग्रीन नोबेल) से सम्मानित किया गया है. यह अवार्ड पर्यावरण के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार के समान प्रतिष्ठित माना जाता है. जंगलों को कटने से बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष को ध्यान में रखकर छ्तीसगढ़ के आलोक को यह अवार्ड मिला है.

GOLDMAN ENVIRONMENTAL AWARD 2024
गोल्डमैन एनवायरन्मेंटल अवॉर्ड 2024

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 2, 2024, 7:56 AM IST

Updated : May 2, 2024, 9:16 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला को ग्रीन नोबेल कहे जाने वाले प्रतिष्ठित गोल्डमैन एनवायरन्मेंटल अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया है. इस साल यह पुरस्कार आलोक शुक्ला समेत दुनियाभर से सात लोगों को दिया गया है. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में यह सम्मान दिया गया.

हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन से जुड़े हैं आलोक : गोल्डमैन एनवायरमेंटल अवार्ड 2024 से सम्मानित आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक तो हैं ही. इसके साथ ही वे हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं. आलोक शुक्ला ने पिछले 12 साल से हसदेव अरण्य के जंगलों, प्राकृतिक संपदाओं और आदिवासी अस्मिता को बचाने, उनके संरक्षण के लिए अपने आदिवासी भाइयों के साथ संघर्ष कर रहे हैं. आलोक शुक्ला हसदेव अरण्य को बचाने के लिए भारत के शक्तिशाली कारपोरेट घरानों और राजनीतिक संगठनों के खिलाफ आंदेलन का हिस्सा रहे हैं.

पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों के लिए मिला सम्मान: यह पुरुस्कार दुनियां के 6 महाद्वीपों के 6 विशिष्ट पर्यावरण योद्धाओं को दिया जाता है. इस बार एशिया से भारत के आलोक शुक्ला को उनके हसदेव क्षेत्र के 28 कोल ब्लॉक में से 21 ब्लॉक के जंगलों को बचाने और लेमरू हाथी रिजर्व को उसकी यथास्थिति बहाल करने के लिए उनके योगदान के लिए चुना गया है. इसके पहले यह पुरुस्कार मेधा पाटकर को भी मिला था. आलोक शुक्ला गोल्डमैन एनवायरमेंटल अवार्ड 2024 से सम्मानित छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति हैं.

दुनियाभर के नजरों में आया हसदेव वन का मुद्दा: आलोक शुक्ला को गोल्डमैन एनवायरमेंटल अवार्ड 2024 का सम्मान मिलने के साथ ही हसदेव अरण्य मुद्दा का अंतरराष्ट्रीयकरण भी हो गया है. पर्यावरण संरक्षण के सबसे बड़े मंच पर हसदेव जंगल को काटे जाने का मुद्दा आ गया है. जिसके चलते दुनियाभर के पर्यावरण कार्यकर्ताओं की नजर छत्तीसगढ़ के हसदेव वन पर आ टिकी है. हसदेव के बाकी कोल ब्लॉक को बचाने में शायद इससे कुछ सहायता मिल सके.

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Last Updated : May 2, 2024, 9:16 AM IST

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