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'मोको करनो है मतदान...', शिक्षक ने लिखा लोकगीत, आयोग ने कलाकार कामाक्षी को तुरंत बना दिया ब्रांड एंबेसडर - GWALIOR FOLK SONG for VOTING

देश में लोकतंत्र के महापर्व यानी लोकसभा चुनाव की बयार चल रही है. लेकिन बहुत जरूरी है कि लोग इसमें अपनी सहभागिता निभाएं अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वोट करने जाएं और यही संदेश ग्वालियर के शासकीय पद्माराजे कन्या उच्चतर विद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने एक नृत्य नाटिका के जरिए दिया. उन्होंने मतदान को लेकर एक सुंदर गीत तैयार किया.

GWALIOR FOLK SONG FOR VOTING
मतदान को लेकर एक सुंदर गीत तैयार

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 25, 2024, 4:33 PM IST

Updated : Apr 25, 2024, 5:01 PM IST

शिक्षक ने लिखा मतदान पर लोकगीत

ग्वालियर। 'मोको करनो है मतदान कि पोलिंग ले चल लांगुरिया... वोट नहीं डालूंगी तो वोटर झूठी है जाऊंगी... 5 साल तक लांगुरिया.. तेरी कुट्टी है जाऊंगी...कि मोको करनो है मतदान कि पोलिंग ले चल लांगुरिया...' मतदान के लिए प्रेरित करता सुंदर गीत शासकीय पद्माराजे कन्या उच्चतर विद्यालय के शिक्षक बृजेश यादव ने लिखा और गाया है. इसका उद्देश्य लोगों को मतदान के दिन ज्यादा से ज्यादा वोट करने के लिए जागरूक और प्रेरित करना है. इसी गीत को एक नाटक के रूप में स्वाइप गतिविधि के तहत ग्वालियर में प्रस्तुत किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन भी मौजूद रहे. इस शानदार प्रस्तुति के बाद नृत्य नाटिका की मुख्य कलाकार और कोरियोग्राफर रहीं. छात्रा कामाक्षी को ग्वालियर स्वीप का ब्रांड एंबेसडर घोषित कर दिया गया.

मतदान को लेकर एक सुंदर गीत तैयार

मनोरंजन के साथ संदेश देता लोकगीत

मतदान प्रेरणा को लेकर इस गीत को लिखने और तैयार करने वाले शिक्षक बृजेश यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि उनके पद्मा विद्यालय के प्राचार्य एक अच्छे प्रेरक हैं. जब विधानसभा चुनाव चल रहे थे तो उसके बाद यह देखने में आया कि इस क्षेत्र में मतदान के आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं, खासकर महिलाओं की मत प्रतिशत सहभागिता बहुत कम है. इसलिए मन में यह विचार आया कि क्यों ना मनोरंजन के साथ-साथ एक संदेश होना चाहिए उस लोकगीत में. हमेशा से लोक संगीत सभी को बहुत ही आकर्षित करता है, बहुत ही सहज और सरल भाषा में सभी को समझ में आता है. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में तो मतदान की बहुत ही विकराल स्थित है यहां कई जगह महिलाओं को मतदान के लिए जाने ही नहीं दिया जाता है. वह अपने अधिकारों का प्रयोग करना ही नहीं जानती. उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करना उद्देश्य है.

ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित है लोकगीत

यह पूरा लोकगीत गांव की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है. जिसमें यह बताया गया है कि एक ग्रामीण परिवार में आज भी लोग पुरानी परिस्थितियों को चलाना चाहते हैं. उनके लिए मतदान कोई बड़ी चीज नहीं है, लेकिन वह महिला अपने अधिकार को पाना चाहती है. मतदान करना चाहती है यह गीत इस परिदृश्य पर लिखा गया है बृजेश यादव ने इस जीत के कुछ बोल भी ईटीवी भारत के साथ गुनगुनाये.

प्रस्तुति के बाद ग्वालियर की ब्रांड एंबेसडर बनी कामाक्षी

संभागायुक्त ने बनाया ब्रांड एंबेसडर

इसी गीत को ग्वालियर में संगीतमय नाट्य प्रस्तुति के रूप में स्कूल की छात्राओं द्वारा सुंदर प्रस्तुति में प्रदर्शित किया गया. जिसमें गांव की वह ग्रहणी जो मतदान के लिए अपने परिजनों से इजाजत मांग रही है, किरदार निभाने वाली छात्रा कामाक्षी शर्मा को ग्वालियर संभाग आयुक्त द्वारा जिले की स्वीप गतिविधि का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया गया. जब ईटीवी भारत ने इस बारे में कामाक्षी से बात की तो उनका कहना था कि ''यह एक बड़ी जिम्मेदारी है और हमारा एक्ट पहले ही लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए काफी है. इसके साथ ही जहां हमें लगता है कि किसी महिला को या किसी व्यक्ति को उसके परिवार वाले वोट करने से रोकते हैं तो हमें उन लोगों को समझना चाहिए के उनका मतदान जीवन की तरह ही आवश्यक है.''

जिम्मेदारी को बलहूबी निभाने का निश्चय

कामाक्षी फिलहाल नाबालिग हैं, लेकिन वह अपने मताधिकारों का ज्ञान अच्छे से रखती हैं. अगली बार जब विधानसभा या लोकसभा के चुनाव होंगे तो वह भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. लोगों को चुनाव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूक करने के संबंध में जब हमने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ''इसके लिए सबसे पहले एक कैंपेन चलना चाहिए, एंटरटेनमेंट को लोग बहुत अच्छे तरीके से लेते हैं इसलिए हमें जहां-जहां परफॉर्म करने का मौका मिले तो हमें अच्छा परफॉर्मेंस करना चाहिए और उससे हम लोगों को मतदान के लिए जागरुक कर सकते हैं. अब जब भी समय मिलेगा तो वह अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगी.''

मोको करनो है मतदान

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कम साक्षरता दर कम वोट प्रतिशत की बड़ी वजह

शासकीय पद्माराजे कन्या उच्चतर विद्यालय की छात्राओं द्वारा दी गई प्रस्तुति को दिशा देने वाली राजनीति विज्ञान की शिक्षिका रागिनी गुर्जर से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के कम वोट प्रतिशत की वजह जाननी चाही तो उनका कहना था कि कहीं ना कहीं इसके लिए महिला साक्षरता दर इसका बड़ा कारण है. क्योंकि सही मायने में अगर साक्षरता के मायने बताए जाएं तो उन्हें पता होता कि इसका क्या असर है. कम वोट प्रतिशत से क्या हानि हो सकती है यह बताया जाए तो निश्चित रूप से महिलाओं में वोट प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है. लोग अपने घरों से बाहर निकलेंगे और मतदान करेंगे.

घर से निकल मतदान केंद्र तक पहुंच वोट करें

बहरहाल यह बात तो सही है कि चंद्रयान तो चांद तक पहुंच चुका है लेकिन भारत की महिला शक्ति समेत वह तमाम लोग जो अब तक मतदान से दूरी बनाए हुए हैं उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह लोकतंत्र के पर्व में अपनी भूमिका निभाई और मतदान कर अपना प्रतिनिधि अपनी सरकार चुनने में सहभागिता दिखाएं.

Last Updated : Apr 25, 2024, 5:01 PM IST

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