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पुल की दीवार से शुरु हुई 800 बच्चों की पढ़ाई, स्कूल जहां गाड़ियां रोक लोग करते हैं शिक्षा दान - Gwalior Bridge Wall School

ग्वालियर में रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिसकी चर्चा पूरे ग्वालियर-चंबल में हो रही है. कुछ गरीब व शिक्षा से वंचित बच्चों के साथ शुरू हुआ ये सफर आज कारवां बन चुका है. गरीब परिवारों के 800 बच्चे 5 स्थानों पर सेवार्थ नाम से लगनी वाली पाठशाला में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. खास बात ये है कि इन स्कूलों में हर वर्ग के लोग फ्री में पढ़ा रहे हैं.

Gwalior Bridge Wall School
ग्वालियर में 800 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे 45 शिक्षक (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 1:05 PM IST

Updated : Sep 5, 2024, 1:41 PM IST

ग्वालियर।कोरोना काल वह दौर था, जब लोग अपने घरों में बंद थे. ना मार्केट खुला था, ना स्कूल चल रहे थे. ऐसे में सबसे ज़्यादा नुक़सान उन बच्चों का हो रहा था, जिनकी बुनियादी शिक्षा शुरू हो रही थी. वे तमाम ऐसे बच्चे जिन्हें कभी स्कूल जाने का मौक़ा नहीं मिला, ये बच्चे ग़रीब परिवारों से आते हैं और स्कूल से दूर रहे. ऐसे बच्चों के लिए एक रिटायर्ड शिक्षक ने अपना ज्ञान मुफ्त मुहैया कराने का फ़ैसला लिया. एक ब्रिज के नीचे दीवार पर बोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. ये कारवां बढ़ता गया और अब इस स्कूल की चर्चा पूरे ग्वालियर संभाग में हो रही है.

ग्वालियर में गरीब घरों के 800 बच्चों के लिए सेवार्थ पाठशालाएं (ETV BHARAT)

800 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे 45 शिक्षक

वर्तमान में लगभग 800 से अधिक गरीब एवं आर्थिक रूप से कमजोर तबके बच्चों को शिक्षा दे रहे रिटायर्ड शिक्षक ओपी दीक्षित ने बताया "उन्होंने इस काम की शुरुआत कोरोना कल में की थी. आज उनके साथ लगभग 45 से अधिक वे लोग जुड़ चुके हैं, जो इस काम में अपना सहयोग देते हैं. इसमें रिटायर्ड बैंक अधिकारी, शिक्षक अन्य प्रशासनिक सेवाओं में कार्य कर चुके अधिकारी व कर्मचारी और प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी कर रहे परीक्षार्थी शामिल हैं."

एक रिटायर्ड शिक्षक का जुनून बना मिसाल (ETV BHARAT)

पुल की दीवार पर हुई थी पढ़ाई की शुरुआत

ओपी दीक्षित बताते हैं "कोरोना के समय सेवानिवृत्ति के बाद वे एक दिन मॉर्निंग वॉक पर निकले थे. तभी विवेकानंद नीडम के पास सहरिया जनजाति के बच्चों को उन्होंने खेलते हुए देखा. उनसे जब बातचीत की तो पता चला कि ना तो वे स्कूल जाते हैं और ना ही किसी प्रकार की शिक्षा का उन्हें अनुभव है. इसी दौरान उनके मन में विचार आया और मौके पर ही एक दीवार पर ब्लैक बोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया." इस दौरान बच्चों के पालक आए, जिन्होंने बताया कि वह प्रवासी मजदूर हैं और काम की तलाश में इधर-उधर जाते रहते हैं. इसलिए शिक्षा बच्चों को नहीं मिला पाई. उसके बाद दीक्षित ने न सिर्फ बच्चों को पढ़ना शुरू किया बल्कि अपने स्तर पर बच्चों को किताबें व अन्य स्टेशनरी भी उपलब्ध कराई.

ग्वालियर में गरीब बच्चों के लिए सेवार्थ पाठशालाएं (ETV BHARAT)

घरेलू महिलाओं से लेकर आर्मी डॉक्टर मुहिम से जुड़े

कुछ गरीब व शिक्षा वंचित बच्चों के साथ शुरू हुआ ये सफर आज कारवां बन चुका है. गरीब परिवारों के 800 बच्चे 5 स्थानों पर सेवार्थ नाम से लगनी वाली पाठशाला में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. खास बात ये है कि इस स्कूल में हर वर्ग के लोग फ्री में पढ़ा रहे हैं. धीरे-धीरे ओपी दीक्षित के इस कार्य में अन्य लोग भी शामिल होते गए और आज लगभग 45 से अधिक शिक्षक चंबल अंचल के अलग-अलग स्थानों पर अपनी सेवाएं देकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराते हैं. कोई टीचर है, कोई छात्र , कोई बैंक से रिटायर अधिकारी है तो कोई आर्मी मैं डॉक्टर रह चुका है. ये सभी शिक्षक अंचल के अलग-अलग क्षेत्रों में जाते हैं. यहां बाकायदा सेवार्थ पाठशाला लगायी जाती हैं.

घरेलू महिलाओं से लेकर आर्मी डॉक्टर मुहिम से जुड़े (ETV BHARAT)

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बच्चों को स्टेशनरी से लेकर ड्रेस निःशुल्क

यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों ने बताया कि इन 5 शालाओं के संचालन में जितनी भी स्टेशनरी लगती है, वह सामाजिक लोगों द्वारा और साथ ही इस समूह के सदस्यों द्वारा दी गई डोनेशन राशि के ज़रिए एकत्र की जाती है. इस पूरी सेवा का किसी तरह का कोई शुल्क इन बच्चों से नहीं लिया जाता. ऐसे में कॉपी-किताबों को लेकर ड्रेस और यहां तक कि कुछ बच्चों के लिए स्कूल फ़ीस भी इन्हीं लोगों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है. सेवार्थ जन कल्याण समिति की शुरुआत करने वाले और सेवार्थ पाठशाला लगाने वाले ओपी दीक्षित और उनके सभी सहयोगी मिसाल बन रहे हैं.

Last Updated : Sep 5, 2024, 1:41 PM IST

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