9 की बजाय 10 दिन के होंगे गुप्त नवरात्रा (video etv bharat ajmer) अजमेर.आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष शनिवार 6 जुलाई से गुप्त नवरात्रा शुरू होने जा रहे हैं. इस बार गुप्त नवरात्रा में तीज 2 दिन रहने के कारण 9 दिन के बजाए 10 दिन के होंगे. गुप्त नवरात्रा में वृद्धि देश प्रदेश के लिए शुभ सूचक है. माता के मंदिरों गुप्त नवरात्रा को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. कई साधक गुप्त नवरात्रा में मंत्र और तंत्र साधना के साथ माता की आराधना करते है.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नवरात्र का विशेष महत्व है. नवरात्रा में 9 दिन माता की आराधना और पूजा पाठ होते हैं. वर्ष में चार बार नवरात्रा आते हैं. इनमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष रूप से मनाए जाते हैं. इस बार 6 जुलाई आषाढ़ शुक्ल पक्ष को गुप्त नवरात्रा प्रारंभ होने जा रहे हैं.
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पुष्कर के पंडित कैलाश नाथ दाधीच बताते हैं कि ज्योतिष मत पंचांग गणित के आधार पर इस बार तीन सर्वार्थ सिद्धि योग रविवार को पुष्य नक्षत्र रहेगा. इस बार नवरात्रि 10 दिन की रहेगी जो सर्वश्रेष्ठ वृद्धि का सूचक है. तृतीया तिथि नवरात्र के दौरान दो रहेगी. उन्होंने बताया कि शनिवार को नवरात्र स्थापना और सोमवार की पूर्णाहुति श्रेष्ठ बताई गई है. गुप्त नवरात्रि में नवदुर्गा, पीतांबरा, बगलामुखी और भैरव उपासना तांत्रिक प्रयोग के लिए श्रेष्ठ है. पंडित दाधीच ने बताया कि गुप्त नवरात्रा के दौरान रात्रि में मंत्र जाप, हवन, पूजा पाठ करना तिगुना फल मिलता है. माना जाता है कि इस दौरान माता की कृपा और आशीर्वाद से साधक मनोकामनाएं सिद्ध होती है.
नोसर माता (photo etv bharat ajmer) गुप्त नवरात्रा के बीच आएंगे ये पर्व : उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्रि में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा, स्कंद कुमार सृष्टि योग, महावीर स्वामी गर्भ कल्याण योग, संत टेउ राम जयंती, भड़ोली नवमी पर विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त जैसे महान पर्व भी गुप्त नवरात्रि के बीच रहेंगे.
वर्ष में दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त रूप से मनाए जाते हैं नवरात्रा: ज्योतिष पंडित दाधीच बताते हैं कि दो प्रत्यक्ष नवरात्रा चैत्र और अश्विन मास में आते हैं, जबकि दो अप्रत्यक्ष (गुप्त) नवरात्रा आषाढ़ और माघ माह में आते हैं. नवरात्रा में माता के 9 दिव्य रूपों की विभिन्न धार्मिक विधियों से आराधना की जाती है.
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माता के प्राचीन मंदिरों में होंगे गुप्त अनुष्ठान:अजमेर जिले में माता के दर्जनों मंदिर है. इनमें पुष्कर में राजराजेश्वरी, पुरुहुता और मणिवैदिक शक्तिपीठ शामिल है. नोसर माता का मंदिर भी सृष्टि के उद्भव के समय से है. यहां माता के 9 रूपों के एक साथ दर्शन होते हैं.
यहां सभी प्रतिमाएं मिट्टी की:फॉय सागर रोड पर बोराज गांव की पहाड़ी पर चामुंडा माता का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां 1500 वर्षों से भी अधिक प्राचीन चामुंडा माता मंदिर है. इसमें चौहान वंश के शासक पूजा अर्चना किया करते थे. चामुंडा माता चौहान वंश के शासकों की आराध्य देवी है.
डाकू करते थे पूजा :शास्त्री नगर स्थित मेहंदी खोला माता मंदिर पहाड़ियों के बीच जंगल में है. माता का यह स्थान 1500 वर्ष से भी अधिक पुराना है. यहां कभी डाकू माता की पूजा अर्चना किया करते थे और मंदिर के समीप ही जंगल में डाकू डेरा जमाया करते थे.
ऋषि मार्कण्डेय की तपोभूमि:अजमेर के निकट सरधना गांव से 5 किलोमीटर जंगल में मकरेड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र की पहाड़ी की तलहटी में स्थित एक गुफा में शिव अर्धांगिनी आदिशक्ति गौरी मैया का स्थान है. यह स्थान ऋषि मार्कण्डेय की तपोभूमि रहा है. ऋषि मार्कण्डेय को माता पार्वती ने यहां साक्षात दर्शन दिए थे. मंदिर में गौरी मैया की स्वयंभू प्रतिमा है, जो जनआस्था का बड़ा केंद्र है.