नई दिल्ली/नोएडा:विभिन्न कंपनियों में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा देकर साइबर जालसाजों ने दिव्यांग सेवानिवृत अधिकारी के साथ एक करोड़ 51 लाख रुपये की ठगी की है. पीड़ित पर जब रकम निकालने के लिए 55 लाख रुपये ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा तब उसे ठगी की आशंका हुई. पीड़ित ने मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से की है. अज्ञात जालसाजों के खिलाफ आईटी ऐक्ट और धोखाधड़ी की धारा में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी है.
50 फीसदी तक रिटर्न, झांसा देकर निवेश करवाई गई रकम
जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है पुलिस उन खातों की भी जानकारी जुटा रही है. जालसाजों ने व्हाट्ïस एप ग्रुप पर जोडक़र 50 फीसदी तक रिटर्न देने के नाम पर साइबर ठगी को अंजाम दिया. पुलिस को दी गई शिकायत में सेक्टर-20 निवासी मुकेश रामेश्वर ने बताया कि वह सेवानिवृत अधिकारी हैं और दिव्यांग हैं. इसी साल अक्तूबर में शिकायतकर्ता की मुलाकात सोशल मीडिया पर आकाश पंवार नामक व्यक्ति से हुई. उसने खुद को शेयर विशेषज्ञ बताया. आकाश का दावा था कि अगर कोई उसकी बताई गई कंपनी में निवेश करेगा तो मुनाफे के तौर पर 50 प्रतिशत रिटर्न एक महीने के भीतर मिल जाएगा. इसके बाद शिकायतकर्ता को एक नामी कंपनी के ग्रुप से जुडऩे के लिए कहा गया.
साइबर ठगी से कैसे बचा जा सकता है (ETV Bharat) स्क्रीनशॉट के ज़रीए झांसा
इस ग्रुप में कई लोग जुड़े थे और यहां लोगों को ऑनलाइन क्लास देकर ट्रेडिंग के टिप्स दिए जा रहे थे. इसके बाद जालसाजों ने उसे दूसरे ग्रुप में जोड़ दिया. यहां बताया गया कि अगर शेयर व आईपीओ में रकम निवेश करते हैं तो 50 फीसदी तक रिटर्न दिया जाएगा. इस पर ग्रुप में जुड़े लोगों ने सहमति जताई. ग्रुप में जुड़े लोग निवेश पर होने वाले मुनाफे का स्क्रीनशॉट साझा कर रहे थे. मुकेश ने कई दिन तक ग्रुप को देखा और उसके बाद खुद भी निवेश कर मोटा मुनाफ कमाने के बारे में सोचा. झांसे में आने के बाद शिकायतकर्ता ने शेयर और आईपीओ में निवेश करना शुरु कर दिया. कुछ दिन के बाद अलग अलग कंपनियों में ट्रेडिंग करवाने के लिए अलग से अकाउंट खुलवाया.
ऐप पर दो करोड़ का दिखा मुनाफा:
पीडि़त ने शुरुआत में 1 करोड़ 6 लाख रुपये लगाए थे. जो पोर्टल पर 2 करोड़ रुपये से अधिक दिखा रहे थे. जब उन्होंने रकम निकालने का प्रयास किया, तब आरोपियों ने टैक्स की पेमेंट एडवांस में करने के लिए कहा. इसके बाद उन्होंने 45 लाख रुपये और जमा कर दिया. फिर साइबर ठगों ने उनसे कुछ और फीस के नाम पर 55 लाख रुपये की मांग की तो उन्हें ठगी का अंदेशा हुआ. इसके बाद जब उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया तब जालसाजों ने ग्रुप से बाहर कर दिया. तब उन्होंने गृह मंत्रालय के पोर्टल पर जाकर शिकायत की. अब इस मामले में साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस से संपर्क करने के बाद पीड़ित को पता चला कि ग्रुप पर जो लोग मुनाफे का स्क्रीनशॉट साझा कर रहे थे वे भी ठग गिरोह के सदस्य थे. शिकायतकर्ता को झांसे में लेने के लिए योजना के तहत मुनाफे का स्क्रीनशॉट साझा किया जा रहा था.
पीड़ित के खाते की जुटाई जानकारी:
शिकायतकर्ता के साथ ठगी के लिए ठगों ने फर्जी स्टॉक एक्सचेंज का पूरा सेटअप बनाया हुआ था. जालसाजों ने जो ऐप पीड़ित को डाउनलोड कराया था उसी में रकम बढ़ती हुई दिख रही थी. खाते में कोई रकम नहीं बढ रही थी. पीड़ित से संपर्क करने के पहले आरोपियों ने उसके बैंक खाते की पूरी जानकारी जुटा ली थी. जालसाज डार्क वेब से ऐसे लोगों का डाटा लेते हैं जिनके खाते में करोड़ो की रकम हो. इंजीनियर, चिकित्सक, कारोबारी, रिटायर्ड अधिकारी और बुजुर्ग इनके निशाने पर होते हैं.
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