नई दिल्ली/नोएडा: संयुक्त किसान मोर्चा के आवाहन पर यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर किसानों ने महापंचायत की. इस महापंचायत में 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त बढ़ा हुआ मुआवजा, 10 प्रतिशत आवासीय भूखंड और नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने की मांग किसान कर कर रहे हैं. इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल हुए. मौके पर भारी संख्या में किसान मौजूद हैं. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया है. इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों की मांगों को पूरा करें, नही तो देशभर में ऐसे ही आंदोलन चलाते रहेंगे.
दरअसल, गौतमबुद्ध नगर के किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. कई बार के आंदोलन के बाद किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा बनाया. संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर पर किसानों ने 25 नवंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर मांगों को लेकर महापंचायत बुलाई और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद सभी किसान यमुना प्राधिकरण पहुंचे और फिर वहां पर किसानों ने धरना प्रदर्शन किया. इसके बाद भी जब किसानों की मांगें पूरी नहीं हुई तो किसानों ने दिल्ली कूच का निर्णय लिया.
किसानों की गिरफ्तारी व रिहाई: वहीं, 2 दिसंबर को दिल्ली कूच करते समय किसानों को दलित प्रेरणा स्थल, नोएडा पर पुलिस व प्रशासन ने रोक लिया. जहां पर किसानों को आश्वासन दिया गया कि एक सप्ताह में उनकी मुख्य सचिव से वार्ता कराई जाएगी और मांगों का निस्तारण कराया जाएगा. इसके बाद सभी किसान दलित प्रेरणा स्थल पर ही धरना प्रदर्शन के लिए बैठ गए, लेकिन 3 दिसंबर को पुलिस ने जबरन वहां से किसानों को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया. जिसके बाद 4 दिसंबर को ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर किसानों ने महापंचायत का आह्वान किया. जिसमें भारी संख्या में किसान पहुंचे. इसके चलते पुलिस ने जेल में बंद सभी किसानों को रिहा कर दिया, लेकिन पुलिस ने फिर दोबारा से किसानों को गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया. इसके बाद किसानों का गिरफ्तारी देने का सिलसिला जारी हुआ और लगभग डेढ़ सौ किसानों को पुलिस ने अलग-अलग जगह से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. फिर लुकसर जेल से अधिकांश किसानों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन अभी भी कुछ किसान नेता लुकसर जेल में बंद है.
किसानों की महापंचायत: यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर हो रही किसानों की महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकट भी शामिल हुए. राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों प्राधिकरण किसानों की मांगों को लेकर उनका निस्तारण करें. जब सब चीज के दाम बढ़ रहे हैं तो जमीन के सर्किल रेट भी क्यों नहीं बढ़ र,हे उनको भी बढ़ाया जाए. सरकार किसानों की मांगों को पूरा करे, नहीं तो पूरे देश में किसानों के आंदोलन चलेंगे. हर जगह की अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं. यहां का इशू भूमि अधिग्रहण का है तो दूसरी जगह MSP गारंटी कानून का है, फसलों के दाम का सवाल है.
किसानों की मांगे पूरी की जाए: राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की पहली मांग 10% आवासीय भूखंड की है. इसके साथ ही सर्किल रेट की है, जो काफी समय से नहीं बढ़ा है. जेवर क्षेत्र के कुछ जगह का मुख्यमंत्री ने सर्किल रेट बढ़ाया है लेकिन अन्य जगहों का सर्किल रेट अभी नहीं बढ़ाया गया. जिन किसानों ने मुआवजा नहीं उठाया उनका भी एक इशू है. दादरी क्षेत्र में असल बिल्डर वहां पर काम कर रहा है और किसानों ने मुआवजा नहीं उठाया है. अधिकारी डराने का काम ना करें, ना तो किसान जेल जाने से डरता है और ना फर्जी मुकदमे लिखकर आप जमीन नहीं छीन सकते.
नहीं कमजोर होंगे आंदोलन: राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को भी जेल से नहीं डरना चाहिए और ना ही किसानों को बेल लेनी चाहिए. अगर जेल जाने से किसान डरेगा तो आंदोलन कमजोर हो जाएंगे. फिर से अगर प्रशासन डराने का काम करें तो किसानों को डरने की जरूरत नहीं है. इसके साथ उन्होंने कहा कि MSP कानून देश का बड़ा इशू है और वहीं स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट भी बड़ा ईशु है.
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