जयपुर: मां लक्ष्मी की आराधना के बाद शनिवार को राजधानी में गोवर्धन पूजा पर्व मनाया गया. यहां आराध्य गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में ठाकुर श्री जी को गर्म तासीर के व्यंजन परोसे गए. साथ ही 104 साल पुरानी सोने-चांदी-जरी जड़ित पोशाक धारण करवाई गई. वहीं हरे कृष्ण मूवमेंट की ओर से आयोजित गोवर्धन पूजा महोत्सव में भक्तों ने श्री गिरिराज गोवर्धन भगवान की पूजा-अर्चना, संकीर्तन, दीपदान, और परिक्रमा में भाग लिया. यहां भारत की पवित्र नदियों और तीर्थों के जल और गाय के गोबर से 21 फीट ऊंचा गोवर्धन पर्वत बनाया गया.
राजधानी में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई गई. वहीं कुछ लोगों ने 1 नवंबर को भी मां लक्ष्मी का पूजन किया. इसके साथ ही रामा-श्यामा का दौर भी चलता रहा. वहीं मान्यता है कि 5000 साल पहले द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के वर्षा रूपी प्रकोप से गोकुल वासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र का घमंड तोड़ा था, तभी से गाय के गोबर से तैयार गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है. इस दौरान पूजा में अन्नकूट और कुछ जगह चूरमा-बाटी का भोग लगाया जाता है.
जयपुर के श्रीकृष्ण बलराम मंदिर में कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की मौजूदगी में श्रीकृष्ण बलराम की दीपों से विशेष आरती की गई. इसके बाद दीपदान किया गया. यहां कैबिनेट मंत्री ने गोवर्धन की विशेष झांकी की परिक्रमा कर दर्शन किए और मंदिर पहुंचने वाले भक्तों को संबोधित करते हुए समाज में आध्यात्मिकता और शांति का संदेश दिया. यहां गोवर्धन पूजा महोत्सव का मुख्य आकर्षण 21 फीट ऊंचा गोवर्धन पर्वत था. जिसे भारत की पवित्र नदियों-तीर्थ के जल और गाय के गोबर से बनाया गया. वहीं श्रीकृष्ण बलराम का विशेष अलंकार के रूप में अनाज की पोशाक धारण कराई गई. साथ ही भक्तों की ओर से तैयार 108 तरह व्यंजनों का भगवान को भोग लगाया गया. कार्यक्रम का समापन अन्नकूट महाप्रसाद वितरण के साथ हुआ. जिसमें 15 हजार भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर किया.