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बंदी के कगार पर गोरखपुर का पराग डेयरी प्लांट; 18 महीने से नहीं मिला कर्मचारियों को वेतन

Gorakhpur Parag Dairy Plant:सीए के शहर में मुख्यमंत्री के ही हाथों से गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में निजी क्षेत्र की दो दुग्ध कंपनियों की आधारशिला रखी जाती है. लेकिन, सरकारी नियंत्रण में संचालित होने वाली इस पराग डेयरी में सीएम का कदम एक बार भी नहीं पड़ा है.

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गोरखपुर का पराग डेयरी प्लांट. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2024, 5:31 PM IST

गोरखपुर: डेढ़ लाख लीटर दूध की क्षमता वाले पराग डेयरी प्लांट गोरखपुर में 125 करोड़ रुपए के निवेश से वर्ष 2019 में तैयार हुआ था. लेकिन, 5 साल में ही यह पूरी तरह से बंदी के कगार पर पहुंच गया है. इस प्लांट का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

शुरुआती दिनों में गोरखपुर और बस्ती मंडल के दूध उत्पादकों से दूध इकट्ठा कर इसने अपने संचालन को गति तो दी, लेकिन बस्ती और अयोध्या के प्लांट की सक्रियता ने इसकी क्रियाशीलता पर ग्रहण लगा दिया. नतीजा यह रहा कि अब प्लांट को 10 हजार लीटर दूध भी खरीदने के लाले पड़ रहे हैं.

गोरखपुर के पराग डेयरी प्लांट पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

जबकि यह संस्था गोरखपुर मंडली कारागार और बीआरडी मेडिकल कॉलेज जैसी संस्था में दूध की सप्लाई करती है. मरीज और बंदियों को पराग का ही दूध दिया जाता है. हालांकि, इन दोनों संस्थानों में मौजूदा समय में दूध सप्लाई पराग ने बंद कर दी है.

मेडिकल कॉलेज पर तो इसका करीब 50 लख रुपए से अधिक बकाया भी है. यह कुछ दूध का कलेक्शन तो कर रही है लेकिन, मिल्क प्रोडक्ट तैयार करने के लिए उसे वह अयोध्या भेजती है. जहां के पराग प्लांट में प्रोडक्ट तैयार होने के बाद वह गोरखपुर पहुंचता है और फिर उसका वितरण होता है.

125 करोड़ की लागत का यह प्लांट कब बंद हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं. मशीनें जंग खा रही हैं. करोड़ों रुपए की दूध टेस्टिंग मशीन भी धूल फांक रही है. यहां के कर्मचारियों को भी पिछले डेढ़ साल से वेतन नहीं मिला है. ऐसे में इसका संचालन कैसे हो यह बड़ा सवाल बन गया है.

प्लांट के मार्केटिंग मैनेजर डीके सोनी, लैब के इंचार्ज रास बिहारी चंद समेत यहां कार्यरत कर्मचारियों ने भी खुलकर प्लांट की समस्या का जिक्र किया. मार्केटिंग मैनेजर ने बताया कि दूध का कलेक्शन नहीं होने से मार्केट में पराग की स्थिति बहुत खराब है. हमसे जुड़े ग्राहक टूट चुके हैं.

गीडा में स्थापित प्राइवेट दूध कंपनियों के माल की बिक्री बढ़ती जा रही है. जिन सरकारी संस्थानों पर पराग का दूध जाता था वहां पर बकाया लाखों में है. अगर यही हाल रहा तो इसकी बंदी पूर्ण रूप से कभी भी हो सकती है. सुनने में आ रहा है कि सरकार इसे नेशनल डेयरी फाउंडेशन से चलाने के लिए पहल कर रही है. मदर डेयरी को इससे जोड़ा जा रहा है. लेकिन, यह कब तक संभव होगा कह पाना मुश्किल है.

लैब इंचार्ज रास बिहारी चंद का कहना है कि जो थोड़ा बहुत दूध इकट्ठा हो रहा है उसकी सामान्य जांच ही लैब में हो पा रही है. बड़ी जांच के लिए करोड़ों रुपए की स्थापित मशीन कंडम हो रही है. वजह यह है कि कोई लैब टेक्नीशियन यहां तैनात नहीं है.

यहां के कर्मचारियों का अलग रोना है क्योंकि, उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है. ड्राइवर की बेटी की शादी तय है लेकिन, वह अपनी साल भर से अधिक की सैलरी पाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है. डेयरी मैन को 18 महीने से सैलरी नहीं मिली है. उसके घर में रोज विवाद हो रहा है.

बता दें कि पराग डेयरी का संचालन दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड करता है. पराग उसका ट्रेडमार्क है. गोरखपुर में डेढ़ लाख लीटर के इस प्लांट की आधारशिला समाजवादी पार्टी की सरकार में वर्ष 2016 में रखी गई थी. लेकिन, इसके निर्माण पर आने वाला पूरा खर्च योगी सरकार ने ही वहन करते हुए वर्ष 2019 में इसका लोकार्पण कराया था.

हालांकि, इसके पूर्व यहां 20 हजार लीटर की क्षमता का एक पुराना प्लांट था जो सही संचालित हो रहा था. लेकिन, सरकार में बैठे अधिकारियों और दुग्ध संघ से जुड़े हुए अधिकारियों ने न जाने कौन सी सर्वे रिपोर्ट तैयार की, जिसके आधार पर डेढ़ लाख लीटर क्षमता का सवा सौ करोड़ रुपए का यह प्लांट निर्मित हो गया.

प्लांट में जो मशीन लगी हैं वह विदेशी हैं. इसे संचालित करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञ भी नहीं रखे गए. जुगाड़ से प्लांट चलाया जा रहा था. प्लांट में 10 लीटर दूध हो या फिर डेढ़ लाख लीटर, इसे ठंडा करने में प्रतिमाह करीब 4.50 लाख रुपए बिजली का खर्च आता है. प्रतिमा इसके संचालन पर 60 से 65 लख रुपए का खर्च आता था और आमदनी बेहद कम. दुग्ध समितियों से जुड़े हुए किसानों का पेमेंट रुका पड़ा है.

मौजूदा समय में 1500 से 2000 लीटर दूध इकट्ठा हो रहा है, जो अयोध्या भेजा जा रहा है. हालांकि इस प्लांट को चलाने के लिए प्रदेश सरकार के दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने नेशनल डेयरी फेडरेशन की पहल की है. जिसके आधार पर फाउंडेशन से जुड़े हुए अधिकारी, मदर डेयरी के अधिकारियों के साथ प्लांट का विजिट कर चुके हैं.

संभावना जताई जा रही है कि मदर डेयरी के माध्यम से इसका संचालन सुचारू ढंग से वर्ष 2025 में हो सकता है. लेकिन, अंदर खाने जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मदर डेयरी शायद अपना कदम पीछे खींच ले. वहीं समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कीर्ति निधि पांडेय का कहना है कि सपा सरकार में इसकी आधारशिला रखी गई. योगी सरकार ने इसका उद्घाटन किया, बहुत अच्छी बात है.

लेकिन, मुख्यमंत्री के शहर में मुख्यमंत्री के ही हाथों से गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में निजी क्षेत्र की दो दुग्ध कंपनियों की आधारशिला रखी जाती है, इसका लोकार्पण भी किया जाता है. लेकिन, सरकारी नियंत्रण में संचालित होने वाली इस पराग डेयरी में उनका कदम एक बार भी नहीं पड़ा है. उन्हें इसका संज्ञान लेना चाहिए, जिससे निजी हाथों की लूट से दुग्ध उत्पादक भी बच सकें और इसके उपभोक्ता भी.

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