चंडीगढ़: गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा चंडीगढ़ नगर निगम अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में असफल रहा है. अब तक आउटसोर्स कर्मचारी वेतन को तरस रहे थे, लेकिन अब नियमित कर्मचारियों को भी इस बार भी सैलरी नहीं मिली है. हालांकि शुक्रवार को यूटी प्रशासन ने नगर निगम को 40 करोड़ रुपए का अनुदान दिया है, जिससे कर्मचारियों को उम्मीदें बंधी है.
चंडीगढ़ प्रशासन भी वित्तीय संकट से जूझ रहा : बता दें कि नगर निगम में कुल 9,748 कर्मचारी हैं, जिनमें 6,965 आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं. आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन में एमसी के मासिक व्यय का सबसे बड़ा हिस्सा ₹26 करोड़ है, जबकि नियमित कर्मचारियों के लिए ₹16 करोड़ आवंटित किए जाते हैं. नगर निगम के अलावा चंडीगढ़ प्रशासन के भी कर्मचारियों को बीते 3 महीने से तनख्वाह नहीं मिली है. नगर निगम ही नहीं बल्कि चंडीगढ़ प्रशासन भी वित्तीय संकट से जूझ रहा है.
मासिक खर्च के लिए भी पैसे नहीं : नियमित कर्मचारियों को हर महीने की 30 या 31 तारीख को वेतन दिया जाता है, लेकिन इस बार वेतन जारी नहीं किया जा सका और एमसी को अपनी बाकी मासिक देनदारियों का भुगतान करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. नकदी की कमी के बीच, एमसी पेंशन (₹3 करोड़), इसके पानी और बिजली के बिल (₹12 करोड़), रखरखाव कार्य (₹11.5 करोड़) और ईंधन की आवश्यकताओं (₹6 करोड़) जैसी अन्य मासिक खर्च को पूरा करने के लिए भी संघर्ष कर रही है.
अब अनुदान की राशि केवल 73 करोड़ बची : एमसी को अपने आउटसोर्स कर्मचारियों को भुगतान करने में भी संघर्ष करना पड़ेगा, जिन्हें आमतौर पर प्रत्येक महीने की 7 तारीख तक भुगतान किया जाता है. एमसी ने वेतन भुगतान में और देरी से बचने के लिए जनवरी के लिए यूटी प्रशासन से ₹30 करोड़ का अग्रिम अनुदान मांगा है, लेकिन एमसी के पास जनवरी, फरवरी और मार्च के लिए कुल अनुदान के रूप में केवल ₹73 करोड़ होने के कारण अगले महीनों के वेतन का भुगतान करना उसके लिए मुश्किल होने वाला है. नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि हमें इस सप्ताह अनुदान मिलने की उम्मीद है.