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17 की उम्र में घर छोड़ा, 68 साल का बुजुर्ग होकर लौटा; नौकरी के लिए श्रीलंका तक किया सफर

श्रीलंका में नौकरी तो नहीं मिली और खानाबदोश की जिंदगी बितानी पड़ी, 30 साल समुद्र तट पर बिताए, फिर एक भारतीय की मदद से लौटे.

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51 साल बाद घर लौटने पर परिजनों ने मिठाई खिलाकर किया स्वागत. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 7:36 PM IST

गोंडा: यूपी के गोंडा जिले में कौड़िया थाना क्षेत्र के अंतर्गत जेठपुरवा गांव का एक परिवार 51 साल से अपने बेटे के घर लौटने की आस लगाए बैठा था. ये आस अब पूरी हुई है और बेटा घर लौट आया है. लेकिन, 17 साल की उम्र में घर छोड़कर गया जवान लड़का अब 68 साल का बुजुर्ग होकर लौटा है.

त्रिजुगी नारायण 51 साल बाद वतन लौटे हैं. परिजनों का कहना है कि त्रिजुगी नारायण के आने की आशा छोड़ चुके थे. गांव में इनके हिस्से की जमीन भी थी. पिता राम भुलावन और मां सीता देवी के निधन के बाद इनके गायब होने की दशा में जमीन भी इनके नाम नहीं आई. जीवन के 51 साल में कुछ समय दिल्ली और अधिकांश समय श्रीलंका के समुद्र तट पर बीत गया. अब जब लौटे तो सब कुछ बदल चुका है.

अपने 51 साल के संघर्ष की कहानी सुनाते त्रिजुगी नारायण. (Video Credit; ETV Bharat)

छोटे भाई की शादी में 32 साल पहले आए थे घर:गोंडा जिले के कौड़िया थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत जेठपुरवा के मजरा गोसाई पुरवा के रहने वाले त्रिजुगी नारायण किशोरावस्था में करीब 17 वर्ष की उम्र में अचानक घर से कहीं चले गए थे. काफी समय तक परिवार के लोगों ने इनकी खोजबीन की लेकिन, कोई पता नहीं चल सका. एक बार इनके गांव के ही कुछ लोगों ने इन्हें दिल्ली में देखा और 32 वर्ष पहले छोटे भाई के विवाह में लोग इन्हें बुलाकर लाए और उसके दूसरे दिन ही ये फिर चले गए.

दिल्ली से कैसे चले गए श्रीलंका:इस दौरान इनकी दिल्ली में एक व्यक्ति से मुलाकात हुई और वह इन्हें अपने साथ श्रीलंका लेकर चला गया. जहां पर इन्होंने करीब 30 वर्ष समुद्र के तट पर व्यतीत किए. त्रिजुगी नारायण बताते हैं कि दिल्ली में उन्हें एक व्यक्ति मिला जो उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर पानी के जहाज से श्रीलंका लेकर चला गया. उसके बाद वो आदमी उनको श्रीलंका में छोड़कर गायब हो गया, जिसके बाद ये वहीं के होकर रह गए.

अपने परिजनों से 51 साल बाद मिलते त्रिजुगी नारायण. (Photo Credit; ETV Bharat)

श्रीलंका में एक भारतीय की मदद से पहुंचे हैदराबाद:नौकरी की तलाश में गए त्रिजुगी खानाबदोश हो गए और फिर काफी समय बीत जाने के बाद इन्हें अपने देश भारत का रहने वाला एक व्यक्ति मिला. उससे इन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई, जिसके बाद वह आदमी पानी के जहाज से इन्हें हैदराबाद में लेकर आया. कुछ दिन तक हैदराबाद में इधर-उधर घूमने के बाद यह ट्रेन से फिर दिल्ली वापस आ गए.

कैसे पहुंचे अपने घर: दिल्ली में गोंडा का रहने वाला एक व्यक्ति मिला, वह इनसे बातचीत करने लगा. बातचीत के दौरान उसने कहा कि तुम्हारी बोली भाषा तो गोंडा जिले जैसी लगती है. फिर इन्हें याद आया और इन्होंने कहा कि हम गोंडा के कौड़िया रहने के रहने वाले हैं. उसने पूछा कि अपने घर जाना चाहते हो तो इन्होंने घर आने की इच्छा व्यक्त की. इस पर उसने इन्हें स्टेशन लाकर ट्रेन पर बैठा दिया. इसके बाद वह गोंडा पहुंच गए.

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