लखनऊ:गोंडा में बीते 18 जुलाई को हुए 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के कारणों का खुलासा हो गया है. ट्रेन तीन मीटर पटरी के फैलाव के कारण बेपटरी हो गई थी. इंजन निकलने के बाद पीछे के पावर जनरेटर कार का पहिया उतर गया था. लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी. तकरीबन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही ट्रेन इमरजेंसी ब्रेक के बाद करीब 400 मीटर दूर जाकर ठहर पाई. इतनी दूरी तक 19 कोच बेपटरी हो चुके थे. इस सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का निर्देश देना था. निर्देश में देरी की वजह से चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को घटना का अंदेशा ही नहीं हुआ. यही वजह है कि ट्रेन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से फर्राटा भर रही थी. घटना के बाद रेलवे की ज्वाइंट रिपोर्ट में रेलवे के इंजीनियरिंग सेक्शन की ये बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है. रविवार को डीआरएम कार्यालय के सभागार में उत्तर पूर्वी परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना इस घटना के लिए बयान दर्ज करेंगे.
गोंडा ट्रेन हादसा में बड़ा खुलासा; फैल गई थी तीन मीटर पटरी, इसीलिए पलटी ट्रेन - Revelation in Gonda train accident
चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के कारणों का खुलासा हो गया है. ट्रेन तीन मीटर पटरी के फैलाव के कारण बेपटरी हो गई थी. रेलवे के इंजीनियरिंग सेक्शन की ये बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jul 20, 2024, 11:08 PM IST
ट्रेन हादसे की शुरूआती जांच करने के लिए चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, ट्रॉफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवी मनकापुर पीके सिंह सहित छह अधीक्षकों ने घटना से जुड़े लोगों के बयान के आधार पर ज्वाइंट रिपोर्ट तैयार की है. ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन, सहायक लोको पायलट राज और ट्रेन मैनेजर विश्वजीत सरकार के बयान दर्ज किए गए हैं. त्रिभुवन नरायन और राज ने जानकारी दी है कि, मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे स्टार्टर लेटआफ होने पर लगभग 25 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से रनथ्रू पास किया. किलोमीटर संख्या 638/12 पर उसे जोर का झटका लगा. आवाज आने के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा. लगभग 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर पेंटो डाउन किया. पीछे देखा तो ट्रेन के कई कोच उतर चुके थे. फ्लैशर लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट को बगल की लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया था.
टीम ने प्रांरभिक जांच में पाया कि रेल ट्रैक की फास्टनिंग ठीक से नहीं हुई थी जिसकी वजह से यह प्रभावी नहीं थी. एसएसई ने दोपहर डेढ़ बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी तो स्टेशन मास्टर मोतीगंज को ट्रेन के दाेपहर 2:28 बजे गुजरने के बाद 2:30 बजे 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के काशन का मेमो प्राप्त कराया.
पटरी की आइएमआर से गड़बड़ी मिलने के बाद राशन आर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करना चाहिए था. जो नहीं की गई. इससे ट्रेन बेपटरी हुई और इसका जिम्मेदार इंजीनियरिंग सेक्शन है.
वहीं इस घटना की संयुक्त रिपोर्ट में शामिल एसएसई पीके सिंह ने रिपोर्ट पर असंतुष्टि जाहिर की है. पीके सिंह ने 11 बिन्दुओं के आधार पर लिखा है कि, लांग वेल्ड रेल का बर्ताव न्यूट्राल सेक्शन में है जो कि सही है. पार्सल वैगन में जोड़ को चेक नहीं किया गया. व्हील मिजरमेंट के बिना ही मान लिया गया कि पहियों में कोई गड़बड़ी नहीं थी. घटनास्थल वाली जगह पर पटरी में बर्ताव बदलने की सूचना कीमैन ने चार दिन पहले ही दे दी थी. सूचना के बावजूद पटरी को डिस्ट्रेस नहीं किया गया. ऐसा माना जा रहा है कि इसी जगह बकलिंग होने से ट्रेन पटरी से उतर गई.
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