देहरादून: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. आने वाले समय में ये संख्या एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है. खासकर केदारनाथ धाम में बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर हिमनद वैज्ञानिक चिंतित नजर आ रहे हैं और इस बात पर जोर दे रहे हैं कि केदार घाटी में मानवीय गतिविधियों को कंट्रोल करने की जरूरत है, वरना केदार घाटी की जैव विविधता पर असर पड़ेगा. केदार घाटी काफी अधिक ऊंचाई पर होने के साथ ही काफी संवेदनशील भी है. जिसके चलते वैज्ञानिक उसकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए मानवीय गतिविधियों को कम करने पर जोर दे रहे हैं.
केदारनाथ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या पर हिम वैज्ञानिक चिंतित:साल दर साल चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2023 में करीब 56 लाख यात्री धामों में दर्शन करने पहुंचे थे. जिसमें अकेले केदारनाथ धाम में सबसे अधिक 19 लाख 61 हजार 277 श्रद्धालु दर्शन करने आए थे. इस साल जिस तरह का उत्साह श्रद्धालुओं में दिख रहा है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अकेले केदारनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 22 लाख के पार पहुंच सकता है. केदार घाटी में इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए वैज्ञानिक अभी से आगाह कर रहे है कि केदार घाटी की संवेदनशीलता को देखते हुए मानवीय गतिविधियों को कंट्रोल किया जाए. खासकर केदारनाथ मंदिर से ऊपर घाटी में जाने वाले श्रद्धालुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
वैज्ञानिक बोले केदारनाथ यात्रा को करें कंट्रोल :वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि केदार वैली लूज मटेरियल से बना हुआ है. यही वजह है की पूरी केदार घाटी काफी संवेदनशील है. इस सीजन केदार घाटी में कम बर्फबारी हुई है. जिसके चलते अभी तक कोई भी एवलांच की घटना सामने नहीं आई है, लेकिन 15 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू हो रहा है, उस दौरान केदार घाटी और अधिक संवेदनशील हो जाती है. जिसके चलते लैंडस्लाइड का होना और सड़कों के टूटने की घटनाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं. चारधाम की यात्रा श्रद्धा से जुड़ी हुई है. ऐसे में केदारनाथ यात्रा को रोका नहीं जा सकता, लेकिन कंट्रोल किया जा सकता है.