कांगड़ा:मशहूर शक्तिपीठ मां बज्रेश्वरी देवी को माखन का लेप लगाने के साथ ही दो दिवसीय घृत पर्व का शुभारंभ हो गया है. 30 क्विंटल घी से तैयार किए गये 25 क्विंटल माखन से मंदिर न्यास के पुजारियों ने रातभर मां की प्रतिमा पर लेप किया. देसी घी को सर्दियों के इस मौसम में 101 बार ठंडे जल में रगड़-रगड़ धोया जाता है और माखन तैयार किया जाता है. घी से माखन तैयार करने की प्रक्रिया एक सप्ताह पहले ही मंदिर में पूरी हो जाती है.
वहीं, सुबह पांच बजे ही मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन करने के लिए खोल दिए गए थे और भक्तों ने भी लंबी लंबी लाइनों में लगकर मां बज्रेश्वरी देवी के दर्शन किए. इस मौके पर मंदिर के प्रांगण में ही माता के भक्तों ने लंगरों का भी आयोजन किया था. घृत मंडल पर्व के आयोजन के पीछे कई तरह की मान्यताएं और लोक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार जालंधर दैत्य को वध करते समय माता के शरीर पर कई घाव हो गए थे. इन्हें ठीक करने के लिए माता के शरीर पर देवताओं ने घृत (घी) का लेप किया था. मान्यता है कि देवी-देवताओं ने देसी घी को एक सौ एक बार शीतल जल से धोया था और माखन तैयार किया था. इसके बाद इस माखन को माता के घावों पर लगाया था. तब से लेकर अब तक ये प्रक्रिया निरंतर जारी है.