रुद्रप्रयाग:ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर सुमेरपुर के पास निर्माणाधीन दस मंजिला भवन चर्चाओं में है. इस भवन को बनाने की स्वीकृति से लेकर निर्माण कार्य पर सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अलकनंदा नदी से कुछ दूरी पर ही भवन बनाया जा रहा है. जिसे लेकर भू विज्ञानी और पर्यावरणविद् खासे चिंतित हैं.
जानकारी के मुताबिक, रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर सुमेरपुर में दस मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है. शासन की ओर से रेलवे निर्माण परिसर की सीमा के बाद चार सौ मीटर तक के क्षेत्र को फ्रीज जोन घोषित किया गया है, जिससे कोई भी निर्माण कार्य या विकास गतिविधियां इस क्षेत्र में नहीं हो सकती हैं. इसकी देखरेख को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन यहां पर बहुमंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है.
बदरीनाथ हाईवे से सटा सुमेरपुर क्षेत्र ग्रामीण में आता है. ऐसे में निर्माण कार्य को लेकर खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत, एनएच से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना जरूरी है. जबकि, अलकनंदा नदी से दूरी को लेकर सिंचाई विभाग की अनुमति होनी भी जरूरी है. ये सभी प्रमाण पत्र निर्माणकर्ता के पास होने जरूरी हैं. यह भवन का अलकंदा नदी से मात्र कुछ दूरी पर बनाया जा रहा है. पर्यावरणविद से लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित हैं.
प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी:भूगर्भवेत्ता प्रवीन रावत ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भवन की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा होने की स्थिति में आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परीक्षण कराकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है. इस मामले में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण/स्थानीय विकास प्राधिकरण की ओर से आवेदक के व्यय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किया जाएगा. भूकंप जोन 5 में आने के बाजवूद भी रुद्रप्रयाग जिले में इतना बड़ा निर्माण कार्य किसी बड़े खतरे का संकेत है.
जमीन के कागज की चल रही जांच: रुद्रप्रयाग जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता शैलेंद्र तोमर ने बताया कि दस मंजिला भवन निर्माण कार्य को लेकर संचालक से स्वीकृति पत्र मांगे गए. इसके निर्माण को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण ने कोई अनुमति नहीं दी है. दस मंजिला भवन निर्माण को लेकर आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परमिशन जरूरी है.