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पेड़ों को भाई मानकर राखी बांध रही हैं महिलाएं, पर्यावरण संतुलन का दिया संदेश - Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan: रक्षा सूत्र का दायरा अब भाई-बहन के रिश्तों से ऊपर उठकर प्रकृति और दूसरे जीवों से भी जुड़ने लगा है. गया की महिलाओं ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश देते हुए रक्षाबंधन के मौके पर पेड़ों को राखी बांधी. पेड़ों को राखी बांधकर उन्होंने पेड़ों की आरती उतारी और उन्हें गले भी लगाया.

गया में रक्षाबंधन
गया में रक्षाबंधन (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 18, 2024, 10:07 PM IST

गया:वातावरण में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो गया है कि लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है अपने घरों के आसपास हरियाली बचाने के लिए गया की महिलाएं और छात्राओं ने रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर लोगों ने अनूठी पहल शुरू की है. महिलाएं और स्कूली बच्चे रक्षाबंधन पर्वके एक दिन पहले ब्रह्मयोनि पहाड़ की तलहटी में पेड़ों पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़-पौधों को राखी बांध कर प्रकृति को बचाने लोगों को संदेश देते हैं.

पेड़ों को राखी बांधकर लिया पर्यावरण का दिया संदेश (ETV BHARAT)

महिलाओं ने पेड़ों राखी बांध कर उतारी आरती: पेड़ों को राखी बांधने के लिए महिलाएं अपने हांथों में राखी की थाल सजाए घर से निकली. पहाड़ के पास पहुंचकर महिलाओं ने पूजा-पाठ किया और नारियल फोड़ कर रक्षा बंधन त्योहार की शुरुआत की. इन्होंने पेड़ों को राखी बांधकर उनकी आरती उतारी, उन्हें तिलक लगाया और उन्हें बचाने की शपथ भी ली. यहां महिलाओं ने गया ऑफिसर्स ट्रेनिंग सेंटर में कार्यरत सेना के जवानों को भी राखी बांधी और मिठाई खिलायी.

गया में फौजी भाइयों को राखी बांधतीं छात्राएं (ETV BHARAT)

4 वर्ष पूर्व लोगों ने शुरू किया था भागीरथी प्रयास:स्थानीय महिला मंजू यादव ने बताया कि 4 वर्ष पूर्व हमलोग यहां मॉर्निंग वॉक के लिए आना शुरू किये थे. उस समय यहां पहाड़ी पर एक भी पेड़ नहीं था. ऐसे में हमलोगों ने निर्णय लिया कि यहां पेड़ लगाया जाए, इसके बाद हमलोगों ने पौधारोपण किया और घर से प्रतिदिन मॉर्निंग वॉक के दौरान पानी लेकर आते थे और पौधों को सिंचित करते थे. देखते-देखते हमलोगों से कई लोग जुड़ते चले गए.

गया में रक्षाबंधन (ETV BHARAT)

पहाड़ पर लहलहा रहे पेड़ पौधे: उन्होंने कहा कि आज इस पहाड़ की तलहटी में हजारों पेड़ लग चुके हैं. पूरा इलाका हरा-भरा हो चुका है. गया शहर को बिना पानी का नदी, बिना पेड़ का पहाड़ के लिए जाना जाता है. तब हमलोगों ने इसे बदलने के लिए सोचा, इसके बाद हमलोग किसी के भी जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे मौके पर यहां पेड़ लगाने लगे. अब यह पेड़ हरा-भरा होकर लहलहा रहे हैं. पेड़ हमें जीवन देने का कार्य करते हैं. इससे पर्यावरण का भी संतुलन बना रहता है.

"लगभग चार-पांच सालों से यहां पौधा लगाने का कार्य जारी है. ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी के प्रांगण में ब्रह्मयोनि पहाड़ की तलहटी हमलोगों ने पौधा लगाने का कार्य शुरू किया. सिर्फ इतना ही नहीं किसी का जन्मदिन हो तो केक ना काटकर पौधा लगाने का कार्य हमलोग करने लगे. धीरे-धीरे यह प्रचलन बढ़ चला. आज हमलोग के साथ हजारों हाथ हैं, जो यहां पौधा लगाने का कार्य करते हैं. रक्षाबंधन को देखते हुए हमलोगों ने पेड़ों को राखी बांधा है."- सोनू कुमार, स्थानीय

फौजी भाइयों को बांधी राखी: स्थानीय निवासी सोनू कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर यह जरूरी है. तभी मानव जीवन बचेगा. आने वाले समय में भी हमलोगों का यह प्रयास जारी रहेगा. हम लोगों की हरित क्रांति अब रंग ला रही है, जहां पहले दो चार लोग जुड़े हुए थे, अब सैकड़ों लोग जुड़ चुके हैं. इतना ही नहीं स्कूलों के छात्र-छात्रायें भी यहां आकर पौधारोपण का कार्य करते हैं. आज के दिन छात्रों और महिलाओं ने पौधों को तो राखी बांधी ही, साथ ही यहां के प्रांगण में रहने वाले फौजी भाइयों को भी राखी बांधा है.

पर्यावरण संतुलन का संदेश: उन्होंने बताया कि महिलाओं ने ब्रह्मयोनि पहाड़ की तलहटी में पेड़ों को राखी बांधकर पर्यावरण संतुलन का संदेश दिया है. विगत चार सालों से ब्रह्मयोनी पहाड़ को पेड़ों से हरा-भरा करने का भागीरथी प्रयास जारी है. अब इस भागीरथी प्रयास का सकारात्मक पहल भी देखने को मिल रहा है, जो पहाड़िया कभी बंजर हुआ करती थी, आज वहां हजारों पेड़ लहलहा रहे है.

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