गया : बिहार की सुरक्षित गया लोकसभा सीट के लिए बुधवार 17 अप्रैल की शाम प्रचार प्रसार थम गया. यहां से एनडीए की ओर से हम के प्रत्याशी पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और इंडिया गठबंधन से राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत मैदान में हैं. वैसे तो कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबाल इन्हीं दोनों उम्मीदवारों के बीच बताया जा रहा है. अब 19 अप्रैल को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर इन उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर देंगे.
कांटे का मुकाबलाः गया लोकसभा के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 28 मार्च तक थी. नामांकन करने के बाद प्रत्याशी अपने चुनावी प्रचार अभियान में जुड़ गए थे. एक पखवाड़े से अधिक समय तक चुनावी प्रचार चलता रहा. प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कई वादे किए. अब जनता तय करेगी कि गया लोकसभा का ताज किसके सिर बंंधेगा. फिलहाल गया लोकसभा सीट की लड़ाई आमने-सामने की बनी हुई है. मुकाबला कांटे का है. दो दिग्गज चुनावी मैदान में है. एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं तो दूसरा पूर्व मंत्री.
तेजस्वी यादव ने आठ सभा कीः गया लोकसभा सीट प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के लिए नाक की सीट बनी हुई है. यही वजह है, कि तेजस्वी यादव ने अपने प्रत्याशी को यहां से जीताने के लिए आठ चुनावी सभाएं कीं. तेजस्वी यादव ने गया में जिन स्थानों पर चुनावी सभा की, उसमें कोच, शेरघाटी, डोभी, फतेहपुर, बेलागंज, बाराचट्टी, मोहनपुर शामिल है. इस तरह गया लोकसभा को लेकर तेजस्वी यादव का तूफानी दौरा चला.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आना पड़ाः तेजस्वी की ताबड़तोड़ चुनावी सभा को देखते हुए एनडीए गठबंधन में थोड़ा हड़कंप रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गया चुनावी दौरे पर आना पड़ा. गया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा की. गया में नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा काफी अहम मानी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गया के गांधी मैदान में चुनावी सभा को 16 अप्रैल को संबोधित किया था. नरेंद्र मोदी के अलावा सम्राट चौधरी और चिराग पासवान की चुनावी सभाएं हुई. बीजेपी के मंत्री जनक राम, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा, मंत्री प्रेम कुमार, एमएलसी जीवन कुमार लगातार गया में डेरा डाले रहे. यहां बता दें कि पीएम मोदी की सभा पहले से तय नहीं थी. जीतन राम मांझी के आग्रह पर पीएम का कार्यक्रम तय हुआ.
मांझी को सांसद नहीं बनाओगेः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 13 अप्रैल को जीतन राम मांझी के समर्थन में चुनावी जनसभा की थी. गया के बाराचट्टी में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद को निशाने पर रखा था. साथ ही मंच से जीतन राम मांझी के लिए वोट मांगे. नीतीश कुमार ने कहा था 'मांझी को सांसद नहीं बनाओगे, हथवा काहें नहीं उठाते हो'. इस दौरान जीतन राम मांझी ने स्वीकार किया कि नीतीश कुमार के कारण ही वो मुख्यमंत्री बने थे.
जातीय संगठन ने किया समर्थनः इस बार के चुनाव में जातीय संगठन गोलबंद होते देखे गए, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि संगठन के नेताओं की बात लोग नहीं मान रहे हैं. इस तरह भले ही संगठनों का समर्थन प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिला है, लेकिन जनता का मन कुछ और है. संगठन के मुखिया भले ही कुछ दावे कर ले, लेकिन अंतिम फैसला जनता ही करेगी. जीतन राम मांझी को विश्वकर्मा समाज, ब्रह्मऋषि समाज समेत कई अन्य समाज का समर्थन मिला. वहीं, राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत को कायस्थ समेत अन्य समाज ने समर्थन करने का आश्वासन दिया. हालांकि समर्थन करने वाले संगठन के नेता और जनता में काफी फर्क देखा गया है.
जीतन राम मांझी के वादेः जीतन राम मांझी ने इस चुनाव में जनता से कई वादे किए हैं. उन्होंने विष्णुपद काॅरिडोर से लेकर बिथो बांध, सोन नदी का पानी लाकर मगध के क्षेत्र से सूखाङ खत्म करने, गया को हेरिटेज सिटी बनाने, अंतिम पायदान से लेकर हर किसी के लिए काम करने का वादा किया है. कहा है कि मेरी जीत से गया की हर आवाज लोकसभा में बुलंदी से उठेगी. यहां उद्योग धंधे बड़े पैमाने पर लगाए जाएंगे. वह, गया ही नहीं पूरे बिहार की आवाज लोकसभा में उठाएंगे.
कुमार सर्वजीत का वादाः वहीं राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत ने कहा है कि बेरोजगारी दूर करना मुख्य लक्ष्य होगा. जनता की परेशानियां दूर हो, इसके लिए काम करूंगा. पहली बार गया को शिक्षित उम्मीदवार मिला है, तीन दशक बाद शिक्षित उम्मीदवार मिला है. राजद प्रत्याशी ने कहा है कि इस बार जीत तय है. हमने बिहार में 17 महीने में काफी कुछ किया. तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी दूर की, नौकरियां दी. बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. इसे हमारी सरकार ने दूर करने का प्रयास किया था, आगे भी हमारा यही प्रयास रहेगा.
क्या कहते हैं विश्लेषकः इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार सिन्हा बताते हैं, कि मांझी इस बार भारी पड़ रहे हैं. तीन बार वे हारे हैं, चौथी बार फिर मैदान में हैं. भाजपा का साथ है. यह सीट बीजेपी की रही है. पिछले दो दशक से अधिक समय से भाजपा या एनडीए खेमा ही जीत रहा है. ऐसे में कहीं न कहीं मांझी भारी दिख रहे हैं. कुमार सर्वजीत भी कमजोर नहीं है लेकिन हवा का रूख मांझी को भारी बता रहा है. यहां बता दें कि यह सिर्फ आंकलन है. जनता तय करेगी कि भारी कौन पड़ा.
20 से 30 गांव में किया दौराः पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय के चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के ही प्रत्याशियों ने पूरा दम लगाया. जीतन राम मांझी और कुमार सर्वजीत दोनों ने एक-एक दिन में करीब 20 से 30 गांवों का दौरा किया. वहीं, तीन से पांच सभाएं रोज करते रहे. इसके अतिरिक्त जहां समय दिया हुआ था, वहां भी गांव में पहुंचे और चुनावी सभा की.