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कुलपति ने नहीं खोलने दिया विश्वविद्यालय का गेट, सड़क पर हुआ कार्यक्रम - Foundation day of MBM College

जोधपुर में एमबीएम कॉलेज के स्थापना दिवस के मौके पर एमबीएम एल्यूमिनी की ओर से आयोजित कार्यक्रम से पहले ही विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गेट पर ताला जड़ दिया. जिससे कार्यक्रम को सड़क पर करवाना पड़ा. कार्यक्रम में विधायक देवेंद्र जोशी भी शामिल हुए, जिन्होंने सड़क पर ही कार्यक्रम को संबोधित किया.

FOUNDATION DAY OF MBM COLLEGE
एमबीएम कॉलेज का स्थापना दिवस (PHOTO : ETV BHARAT)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 14, 2024, 1:21 PM IST

सड़क पर हुआ एमबीएम स्थापना दिवस कार्यक्रम (VIDEO : ETV BHARAT)

जोधपुर.देश का प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग एमबीएम विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस बुधवार को एमबीएम एल्यूमिनी की ओर से सड़क पर ही आयोजित किया गया, क्योंकि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गेट पर ताला जड़ दिया. कार्यक्रम में बतौर अतिथि सूरसागर विधायक देवेंद्र जोशी को आमंत्रित किया गया, लेकिन जब वे वहां पहुंचे तो विश्वविद्यालय के गेट पर ताला जड़ा हुआ था. दरअसल, संस्थान के स्थापना दिवस के मौके पर बुधवार को इसे स्थापित करने वाले सेठ मगनीराम बांगड और मथुरादास माथुर को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम था, जो एमबीएम एल्यूमिनी की ओर से आयोजित किया गया था.

विधायक और एल्यूमिनी एसोसिएशन के लोगों ने कुलपति प्रोफेसर अजय शर्मा से संपर्क करने के प्रयास किए. विधायक ने बात भी कि लेकिन कुलपति ने गेट नहीं खुलवाया. अंतत: मैन गेट के बाहर सड़क पर ही कुर्सियां लगाकर मगनीराम बांगड़ के चित्र पर श्रद्धासुमन स्थापित किए गए. विधायक जोशी ने कहा कि कुलपति की हठधर्मिता से यह हुआ है. मैं इसकी निंदा करता हूं. जिन लोगों ने इस संस्थान को बनाया, उनके साथ ऐसा व्यवहार उचित नहीं है. उम्मीद करता हूं कि वे आगे से इसका ध्यान रखेंगे.

विधायक ने आगे कहा कि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज का देश में नाम था. आज एल्यूमिनी एसोसिएशन की वजह से ही सरकार ने 2021 में इसे विश्वविद्यालय बनाया. यहां से देश के नामवर इंजीनियर निकले हैं. ऐसे में सभी को अधिकार है कि वे संस्थान को स्थापित करने वालों को याद करें. उम्मीद करता हूं कि अगले वर्ष सब साथ मिलकर ऐसा करेंगे.

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उल्लेखनीय है कि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना सेठ मगनीराम बांगड के आर्थिक सहयोग से हुई थी. इसलिए इसका नाम एमबीएम कॉलेज रखा गया था. 1951 में स्थापित इस कॉलेज में प्रवेश के लिए होड़ रहती है. विश्वविद्यालय बनने के बाद पूरे पश्चिमी राजस्थान के इंजीनियरिंग कॉलेज इसके अधीन कर दिए गए.

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