हजारीबाग:देश के पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में रविवार को अटल विचार मंच नामक राजनीतिक पार्टी का गठन किया है. वो नई राजनीतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए फॉर्म भर कर पहले सदस्य बने. हजारीबाग के पुराने भाजपा कार्यालय अटल भवन में अटल विचार मंच का दफ्तर खुला है.
एवीएम झारखंड की 81 सीटों पर लड़ेगा चुनाव
इस दौरान यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में एलान किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सभी 81 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. वैसे दावेदार जो ईमानदार होंगे, उन्हें पार्टी पहले प्राथमिकता देगी. यशवंत सिन्हा ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अटल विचार मंच कोई स्वयं सेवी संगठन या चंदा वसूलने की पार्टी नहीं है. यह पूर्ण रूप से राजनीतिक पार्टी रहेगी.उन्होंने सादे कार्यक्रम में अपनी पार्टी का गठन किया.
दूसरे पार्टी से गठबंधन पर कही ये बात
क्या अटल विचार मंच किसी दूसरे पार्टी से गठबंधन करेगा या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगा इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि पहले सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना है. इसके बाद क्या स्वरूप बनता है इसे देखकर तैयारी की जाएगी. पार्टी के पहले कार्यक्रम में उनकी धर्मपत्नी नीलिमा सिन्हा समेत कई पुराने भाजपा के कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
अटल जी के सिद्धांतों से बीजेपी हुई दूर
यशवंत सिन्हा ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांत से भाजपा दूर होती जा रही है. इसे देखते हुए एक ऐसी पार्टी बनायी गई है जो अटल बिहारी वाजपेयी के पद चिन्हों पर आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी से अब लोगों का विश्वास उठता जा रहा है. यही कारण है कि यह सरकार इस लोकसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा भी पार कर नहीं पाई और 240 पर सिमट गई .
इस दौरान यशवंत सिन्हा ने कई ऐसे उदाहरण भी दिए जो अटल बिहारी वाजपेयी से संबंधित थे. उन्होंने कहा कि भाजपा का सिद्धांत अब अटल जी के विचारों से मेल नहीं खाता है. जिस तरह से कांग्रेस महात्मा गांधी को भूल रही है, उसी तरह भाजपा ने भी अटल बिहारी वाजपेयी को भुला दिया है. भारत रत्न देने से सिर्फ सम्मान नहीं मिलता.
पीएम मोदी के इस बयान पर जताई आपत्ति
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने मंच से कहा कि झारखंड के तीन दुश्मन हैं. जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी. पीएम के इस बयान पर उन्होंने आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस, आरजेडी या फिर जेएमएम की वकालत नहीं करता हूं, लेकिन क्या एक प्रधानमंत्री को मंच से यह बात नहीं कहना चाहिए. वह दुश्मन की जगह प्रतिद्वंदी शब्द का उपयोग कर सकते थे. यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या अटल जी जीवित रहते तो क्या वह अपने प्रतिद्वंद्वी को दुश्मन कहते. यही अंतर अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी में है.
केंद्र में विपक्ष को नहीं मिल रहा स्थान
उन्होंने कहा कि विपक्ष अगर मजबूत नहीं हो तो लोकतंत्र कमजोर हो जाता है. विपक्ष को जितना स्थान मिलना सरकार में मिलना चाहिए, वह अब नहीं मिल पा रहा है. अब समय आ गया है संकल्प लेने का कि भारत के लोकतंत्र को उसी तरह से चलाना होगा जिस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी चलाते थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, आवास योजना समेत कई ऐसे योजना की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी, जो आज तक चल रही है. यह उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है.