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दिल्ली के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने याद किया कारसेवा का समय, इतने दिन रहे थे जेल में - राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा

Ram mandir pran pratishtha: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले कई कारसेवकों की कहानियां सामने आईं. हाल ही में दिल्ली के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी अपने कारसेवा के दिनों के बारे में बताया.

Shyam Sundar Agarwal
Shyam Sundar Agarwal

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 22, 2024, 11:31 AM IST

दिल्ली के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देशभर में जश्न का माहौल है. इससे कार सेवक भी अपने अपने संघर्षों को याद कर बहुत खुश हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनके जीवन काल में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. इन्हीं कार सेवकों में दिल्ली के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल भी शामिल हैं, जिन्हें राम मंदिर आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था और एक हफ्ते तक जेल में रखा गया था.

उन्होंने बताया कि, हमें गाजियाबाद में गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल में भेज दिया था. प्रशासन का भी कोई सहयोग नहीं था. दो दिन बाद वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं को यह बात मालूम हुई तो उन्होंने हमें जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई. जेल में एक हफ्ता हमने भजन गाकर बिताया था. हमारी गिरफ्तारी के बाद कोई जानकारी न मिलने पर घर वाले भी परेशान थे.

हमें दूसरा अवसर एक दिसंबर को मिला जब आरएसएस में शाखा कार्यवाह होने के नाते मुझे एक टोली का प्रमुख बनाया गया, जिसमें 12 युवा थे. सभी साथी जय श्री राम के जय घोष के साथ पैदल मार्च कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन में बैठकर रवाना हुए. जिस स्टेशन पर ट्रेन रुकती ट्रेन पर रुकती वहां पुष्पवर्षा होती और नारे लगते. इसके बाद हम दोपहर 12 बजे अयोध्या पहुंचे जहां कारसेवकों के ठहरने की अस्थाई व्यवस्था की गई थी. उस समय टेंट लगाकर पूरा नगर ही बसा दिया गया था, जिसका नाम कारसेवक पुरम रखा गया था.

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इसके बाद छह दिसंबर को विवादित ढांचे पर कारसेवकों ने चढ़ाई शुरू कर दी. हमारी टोली के भी दो सदस्य ढांचे पर चढ़ने में कामयाब हुए और देखते ही देखते ढांचा ध्वस्त हो गया. बाद में हम लोगों को इकट्ठा कर स्टेशन की तरफ बढ़े, लेकिन दो घंटे चलने के बाद सड़क नजर नहीं आ रही थी. उस दौरान एक मंदिर में मौजूद व्यक्ति ने हम सभी को टिफिन में लाकर खाना खिलाया था. किसी तरह ट्रेन पर चढ़कर हम वापस आए थे. उन्होंने कहा कि आज कारसेवकों का सपना पूरा हो रहा है. इस सपने के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुती तक दे दी.

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