लखनऊ: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर चुनाव में धांधली हुई है. हमें कई सारे ऐसे वीडियो मिले हैं जिन्हें हमने चुनाव आयोग के साथ ही संबंधित अधिकारियों को भी पहुंचाया है. कुंदरकी के अपने प्रत्याशी का मैंने वीडियो देखा है. सुबह-सुबह जब वह वोट डालने निकले तो उन्हें जानकारी मिल गई कि उनके बूथ के एजेंट को निकाल दिया गया है.
पुलिस प्रशासन ने मिलकर जो व्यवहार किया और उनकी नीयत और मंशा यही थी कि कोई भी समाजवादी पार्टी का एजेंट बूथ पर न रहे. जानबूझकर प्रशासन ने खासकर पुलिस ने सरकार के निर्देश पर सभी बूथ एजेंट को बाहर निकाल दिया. बड़े पैमाने पर जहां समाजवादी पार्टी के समर्थक थे, उनके लोग थे जो वोट डालना चाहते थे. उन्हें रोक दिया गया. अखिलेश यादव ने कहा कि है आधुनिक युग की इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैपचरिंग है. अगर संभव हो तो ईवीएम की फोरेंसिक जांच कराई जाए. एक उंगली से कितनी बार ईवीएम का बटन दबा, यह सामने आ जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. यह चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष नहीं था. यह बेईमानी से चुनाव जीता गया है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अगर उन लोगों को रोक दिया गया तो फिर वोट किसने डालें? यह अपने आप में बड़ा सवाल है. अगर उन बूथों पर समाजवादी पार्टी का वोटर नहीं पहुंचा. हमारे प्रत्याशी के समर्थक नहीं पहुंचे तो अंदर वोट किसने डाला? यह बेहद गंभीर विषय है. इसके साथ-साथ दो तरह की पर्ची होना एक पर लाल मार्क है और एक सामान्य रूप से जो पर्ची दी जाती है. इसकी शिकायत मैं पहले भी कर चुका हूं. हमारे कार्यालय में वह साथी बैठे हैं, जिनका वोट था लेकिन वह वोट डाले नहीं पहुंचे.
अभी हमारे विधायक अपने तमाम साथियों के साथ यहां आ रहे थे. पुलिस को जानकारी मिली. कई गाड़ियां इनकी सुबह ही रोक दी गई. सुबह से हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें छोड़ दिया जाए. कोई कारण नहीं है, लेकिन उन्हें थाने में बिठाया गया है. सीतापुर में बिठाया गया है. पहले एक थाने में पुलिस ने रोका. एसओजी की टीम आई उन सभी को बिठा लिया और दूसरे थाने में ले गए. वहां पर बिठा दिया, इसलिए बिठा दिया गया कि कहीं प्रेस से आमना-सामना ना हो जाए. उन्हें पता था क्योंकि समाजवादी पार्टी कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होने जा रही है. संभल की एक गंभीर घटना हुई है. सर्वे हो चुका था.
चुनाव की चर्चा न हो पाए इसलिए जानबूझकर इस समय सर्वे की टीम भेजी गई थी जिससे माहौल खराब हो जाए. कोई चुनाव पर चर्चा न कर सके. जानकारी मिल रही है कि कई लोगों को चोट पहुंची है. कई लोग घायल हैं और एक नौजवान नईम की जान चली गई. आखिरकार जो सर्वे हो चुका था तो मस्जिद का दोबारा सर्वे सरकार क्यों करा रही वह भी सुबह और बिना तैयारी के? कानूनी और कोर्ट के प्रोसीजर में मैं नहीं जाना चाहता हूं लेकिन दूसरे पक्ष की सुनवाई ही नहीं है. कोई सुनने वाला है ही नहीं.
यह जानबूझकर इसलिए किया गया है कि आज किस बात पर चर्चा हो कि इमोशन पर चर्चा हो, यह जानबूझकर सरकार ने सर्वे कराया है. यह जो संभल में हुआ है बीजेपी सरकार, प्रशासन सब ने मिलकर कराया है जिससे चुनाव की धांधली पर उसकी बेईमानी पर चर्चा न हो सके. अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतंत्र में सच्ची जीत लोक से होती है तंत्र से नहीं, लेकिन यह नया लोकतंत्र जो भारतीय जनता पार्टी ने बनाया, उसमें लोगों को वोट डालने नहीं दिया जा रहा है. अपने तंत्र को आगे कर दिया जा रहा है. जब कभी भी निष्पक्ष जांच होगी जिस समय निष्पक्ष जांच की जाएगी तमाम वीडियो या सीसीटीवी के माध्यम से जो फुटेज लिए जाएंगे तब उसकी सच्चाई सामने आएगी.
पता लगेगा कि वोटर ने वोट नहीं डाला. वहां के कौन वोटर बन गए? यह भी किसी को नहीं पता. बूथ के अंदर किसने वोट डाला किसी को जानकारी नहीं है. दिखावटी जीत छलावा होता है जो सबसे ज्यादा उसी को छलती है जिसने छल करके जीत का नाटक रचा है. यह इनका पूरा नाटक है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसी जीत जीतने वालों को कमजोर करती है. नैतिक रूप से उनके जमीन को मार देती है. बिना जमीन वाले अंदर से खोखले होते हैं. ऐसे लोग सबके सामने अपने को ताकतवर दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अकेले में आईने में अपना मुंह देखने से भी डरते हैं.
भाजपा का हारने का डर तो उसी दिन साबित हो गया था जिस दिन उसने पीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों को चुनाव से हटा दिया था, जिससे उनके अपने लोग वहां पर सेट किया जा सके और धांधली की गवाही देने वाला कोई भी न हो. हमने तो भाजपा की बदनीयत को समझकर तब भी विरोध किया था लेकिन जब शासन प्रशासन के ही दुशासन बन जाए तो लोकतंत्र के चीरहरण को कौन रोक सकता है? यह बेईमानी कोई नई नहीं है. चुनाव में धांधली करना और धांधली का परिणाम हमने अपने सभी ने कैमरे पर देखा था, जब एक विधायक को भी अपमानित होना पड़ा था. इनकी धांधली सीसीटीवी की वजह से चंडीगढ़ में पकड़ी भी गई थी जिनकी उंगलियों पर निशान नहीं है उनके भी वोट डाले गए हैं.
सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि जिनकी उंगलियों पर निशान भी नहीं है सुनने में आया है उनके भी वोट पड़ गए हैं. चुनाव आयोग अपने दस्तावेजों में देखे कि जिनके नाम दर्ज हैं वह बूथ तक पहुंचे भी या नहीं? जिस समय यह जांच होगी कि लोग बूथ तक पहुंचे कि नहीं पहुंचे? दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. अगर ईवीएम की कोई फॉरेंसिक जांच संभव हो तो बटन दबाने के पैटर्न से ही पता चल जाएगा कि एक ही उंगली से कितनी बार बटन दबाया गया? अगर यह संभव हो तो यह पता किया जा सकता है कि एक ही उंगली से कितनी बार बटन दबाया गया?