बेगूसराय:बिहार के बेगूसराय में गंगा नदी सैकड़ों गांव के लिए कहर बन गई है. बाढ़ से लाखों लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बलिया, मटिहानी, शामहो, साहेबपुरकमाल, तेघरा, बछवाड़ा प्रखंड सहित नगर निगम के कई क्षेत्र में गंगा का पानी प्रवेश करने से बाढ़ आ गई है. प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन के द्वारा राहत व्यवस्था के कई दावे तो किए जा रहे हैं लेकिन अधिकाश इलाकों के पीड़ित इससे संतुष्ट नहीं हैं. लोग कह रहे हैं कि प्रशासन की ओर से कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है, वो अपने घर के छत पर रहने को मजबूर हैं.
गंगा का बढ़ता जलस्तर बना कहर: बाढ़ से बदहाल होती स्थिति में कई जगह पीड़ितों के द्वारा राहत व्यवस्था को लेकर हंगामा भी किया गया. गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण मुख्य रूप से मटिहानी प्रखंड अंतर्गत कुल छह पंचायत में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं बलिया प्रखंड अंतर्गत छह पंचायत बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हैं, जिसमें तुलसी टोल, मीरअलीपुर पंचायत आदि में स्थिति भयावह है.
151 सरकारी स्कूलों को किया गया बंद:कहींमवेशी के लिए चारा एक बड़ी समस्या बनी हुई है. तो कई इलाकों में बाढ़ के कारण संपर्क टूट चुका है. नाव के पर्याप्त संख्या में नहीं होने से लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं. इसी कड़ी में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए 151 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है.
इन पंचायतों में घुसा बाढ़ का पानी: साहेबपुर कमाल प्रखंड अंतर्गत कुल दो पंचायत जिसमें कमला स्थान और समस्तीपुर पंचायत बाढ़ की चपेट में है. जबकि शाम्हो प्रखंड अंतर्गत सभी तीन पंचायत प्रभावित हैं. उधर बछवाड़ा प्रखंड अंतर्गत तीन पंचायत और तेघड़ा प्रखंड अंतर्गत कुल चार पंचायत बाढ़ से प्रभावित हैं. खास बात यह है कि बाढ़ की चपेट में नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या-5 डुमरी और नगर-निगम क्षेत्र के कमरूद्दीनपूर आदि भी प्रभावित हैं.
पीड़ितों ने लगाया प्रशासन पर लापरवाही का आरोप: बाढ़ पीड़ित छीतरौर गांव की एक महिला ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि बाढ़ को लेकर काफी परेशान हैं. जैसे तैसे अपनी जिंदगी गुजार रही है. महिला ने बताया कि अब तक उन लोगों को सुविधा के नाम पर सरकार और प्रशासन की तरफ से कुछ भी मुहैया नहीं कराया गया है. बाढ़ आए दस दिन बीत गए पानी के कारण उनका पैर सड़ रहा है, लेकिन कोई दवा की व्यवस्था नहीं है.
"आने जानें के लिए दो चार नाव हैं, लेकिन हमे इसकी सुविधा भी नहीं मिलती है. बाढ़ की इस घड़ी हमे देखने और हमरा दर्द सुनने कोई एमएलए और एमपी अब तक नहीं आए हैं. बाढ़ के कारण बच्चे की पढ़ाई-लिखाई चौपट हो गई है. नाव के कारण अपने नातीन का इंटर में एडमिशन कराने नहीं जा सकी. यहां पर चिकित्सक, पशु चिकित्सक सहित अन्य सुविधाएं नदारद है."-ऋतु देवी, बाढ़ पीड़ित
बाढ़ के बीच कैसे हो रहा जीवन यापन: जिले के कुल आठ प्रखंड बाढ़ की चपेट मे हैं. लोग या तो गांव से पलायन कर चुके हैं, या फिर गांव में ही रहकर जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं. कुछ लोग घर की छत और ऊंचे स्थान पर अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. कुछ लोग बांध और अन्य सरकारी भवनों में रहने को विवश हैं. बाढ़ की स्थिति से न सिर्फ आम इंसान बल्कि मवेशियों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
गाय के लिए नहीं बचा है चारा: निशु देवी ने बताया कि बाढ़ के पानी के कारण सभी नल डूब चुके हैं. दूसरी ओर जाकर लोगों के सबमर्सिबल से पीने का पानी लाना पड़ता है. नगर निगम क्षेत्र वॉर्ड नंबर 18 के रहने वाले बाढ़ पीड़ितों ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि पीने का पानी नहीं है. गाय के लिए चारा भी नहीं है. प्रशासन कोई मदद नहीं कर रही है. अब तक कोई भी अधिकारी उन लोगों को देखने नहीं आया है.
क्या कहते हैं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष: मटिहानी प्रखंड क्षेत्र में गंगा के रौद्र रूप के बाद आई विपदा के संबंध में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अभय कुमार उर्फ सार्जन सिंह ने कहा कि मटिहानी प्रखंड के लगभग सभी पंचायत बाढ़ के पानी में डूब गयी है. मटिहानी प्रखंड के लभरचक में लगभग हर घर में पानी घुसा हुआ है. लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. अबतक प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं आया है.