वाराणसी: आज विजयदशमी का पावन पर्व है. असत्य पर सत्य की विजय के इस पावन मौके पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पहली बार शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया. बाबा विश्वनाथ के धाम के मुख्य चौक में आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम में मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल, गदा, तलवार, तीर धनुष और अन्य शस्त्रों का पूजन करके पुरातन परंपरा को नूतन से जोड़ते हुए विजयदशमी पर्व को मनाया.
बाबा विश्वनाथ धाम में हर रोज पुरानी परंपरा को पुर्न जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस क्रम में पुरानी परंपरा के अनुरूप आज विश्वनाथ मंदिर परिसर में विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया. बाबा विश्वनाथ के सभी शस्त्रों का पूजन करते हुए विधिवत तरीके से उसकी आरती उतारी गई और प्रभु श्री राम का भी श्रद्धा पूर्वक पूजन संपन्न हुआ.
विजयादशमी पर शस्त्रों के पूजन का महत्व बताते मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा. (Video Credit; ETV Bharat) मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि विजयदशमी का पर्व सनातन परंपरा का सबसे बड़ा पर्व है. शास्त्र और शस्त्र दोनों के लिए इस दिन को जाना जाता है. शस्त्र हमें किसी भी होने वाले हमले से बचते हैं और शास्त्र हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं. यह दोनों अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.
विजयदशमी पर शास्त्रों और शस्त्रों का पूजन करते मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा. (Dussehra 2024) उनका कहना है कि सनातन परंपरा के अनुरूप भगवान शिव ने शस्त्रों को देने की शुरुआत की थी. परशुराम जी को धरती पर सभी तरह के शस्त्र देकर उन्होंने सशक्त बनाया था और इसी परंपरा का पालन करते हुए विजयदशमी पर शस्त्र पूजन की जो परंपरा है, उसका निर्वहन किया जाना आवश्यक है.
विजयदशमी पर शस्त्रों का पूजन करते मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा. (Dussehra 2024) उन्होंने कहा कि यह परंपरा काफी पुरातन है और निश्चित तौर पर बाबा विश्वनाथ के धाम में परंपरा का हमेशा से अनुपालन किया जाता रहा है, लेकिन बीच में जिस तरह से मंदिर का विध्वंस हुआ, कई अन्य तरह के हमले हुए उसमें इन परंपराओं को तोड़ दिया था, लेकिन अब धीरे-धीरे फिर से इनको स्थापित करते हुए विश्वनाथ मंदिर प्रशासन सारी चीजों का अनुपालन सुनिश्चित कर रहा है और इस क्रम में आज से विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजन की परंपरा भी शुरू की गई है.
ये भी पढ़ेंःयूपी में दशहरे पर अजब संयोग; 'राम' के बाण से आज ससुराल में होगा रावण का वध, मेरठ में जीवंत होगी रामलीला