कोर्ट ने आरोपी पिता-पुत्र को सुनाई सजा (ETV Bharat Rajsamand) राजसमंद: जिले में बजरी दोहन को लेकर तकरार के बाद प्राणघातक हमले के मामले में सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति विशिष्ट न्यायालय राजसमंद की न्यायाधीश अभिलाषा शर्मा ने आरोपी पिता व पुत्र को दोषी करार देते हुए 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही प्रत्येक को 26 हजार 500 रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है.
एससी एसटी कोर्ट राजसमंद के विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने बताया कि परिवादी पप्पू ने 4 अप्रैल, 2017 को कुंवारिया थाने में रिपोर्ट दी थी. उन्होंने बताया कि रात में फियावडी पंचायत के नाथूवास गांव में उसके निजी खेत के पास किशन कुमावत, प्रकाश कुमावत व उसके पिता उनके खेत से अवैध रेती दोहन कर रहे थे. इस पर पप्पू के पिता जगदीशचंद्र व भाई मुकेश ने मौके पर पहुंचकर आरोपियों को खेत के पास बजरी खनन नहीं करने के लिए टोका, तो आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी.
पढ़ें:अधेड़ को अज्ञात वाहन ने कुचला, ग्रामीणों ने बजरी माफियाओं पर लगाया आरोप, थाने के सामने किया प्रदर्शन - road accident in shahpura
जगदीश चंद्र बजरी खनन का विरोध करते हुए मना करते रहे, तो आरोपियों ने सरिये व लाठियों से हमला कर दिया. इससे उसके पिता के सिर व आंख पर जबरदस्त चोट आई और वह घायल हो गए. उसके भाई मुकेश ने बीचबचाव किया, तो उसके भाई के हाथों-पैरों में भी इन लोगों ने सरियों से वार किए, जिससे वह भी घायल हो गया. साथ ही जातिगत गालीगलौच करने के भी आरोप थे. हालांकि न्यायालय में पक्ष-विपक्ष को सुनने, साक्ष्य, दस्तावेजी साक्ष्य व गवाह को सुनने पर जातिगत गालीगलौच नहीं पाया गया. जानलेवा हमले को सही माना गया. बताया गया कि घटना में उसके पिता के सिर में ज्यादा रक्तस्राव होने से वे कोमा की स्थिति में पहुंच गए. इस तरह कुंवारिया थाना पुलिस ने प्रकरण की जांच के बाद एससी-एसटी कोर्ट राजसमंद में आरोप पत्र प्रस्तुत किया.
पढ़ें:माफिया ने जंगल में 400 टन बजरी का किया था स्टॉक, पुलिस को भनक लगते ही शुरू की कार्रवाई, मचा हडकंप - Police Action Against Gravel Mafia
13 गवाह व 20 दस्तावेजी साक्ष्य बने सजा का आधार: विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने न्यायालय में सुनवाई के दौरान 13 गवाह तथा 20 दस्तावेजी साक्ष्य न्यायाधीश अभिलाषा शर्मा के समक्ष प्रस्तुत किए. इस पर न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात गोवलिया निवासी प्रकाशचंद्र व उसके पिता गणेशलाल को दोषी करार दिया. साथ ही धारा 323, 341, 325, 307 भारतीय दंड संहिता में 10-10 साल के कारावास तथा 26 हजार 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया.