चंडीगढ़: विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. एक तरफ जहां केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी है. वहीं, इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी पार्टियों केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साध रही है. इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी पार्टियों सरकार पर हमलावर रुख इख्तियार किए हुए हैं.
किसानों को परेशान कर रही है सरकार- उदयभान: किसानों के चल रहे आंदोलन और सरकार के इसको लेकर रुख पर कांग्रेस पार्टी मुखर रुख अपनाए हुए हैं. इस मामले में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है "जिस तरीके से सरकार ने रास्ते बंद किए हुए हैं और किलें सड़कों पर गाड़ दी है, वह सरकार का किसानों के प्रति अन्याय पूर्ण रवैया है. सरकार किसानों को परेशान कर रही है. किसान आंदोलन के नाम पर सरकार ने जो इंटरनेट बंद किया है और रास्ते बंद हुए हैं उससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को तुरंत किसानों से बातचीत कर उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए."
आप के निशाने पर हरियाणा सरकार: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कहा "हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन का झूठा बहाना बनाकर हरियाणा के लोगों को बंधक बना रखा है. हरियाणा सरकार ऐसा जानबूझकर कर रही है सरकार को यह पता था कि किसान दिल्ली कूच नहीं करेंगे ऐसे में सरकार ने जानबूझकर इंटरनेट सेवाएं बाधित की हुई है. ताकि लोगों के मन में किसानों के खिलाफ दुर्भावना पैदा हो. सरकार की नाकामी की वजह से ही आम जनजीवन भी पूरी तरह से अस्त व्यस्त हुआ पड़ा है. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बंद है जिससे हर रोज करोड़ों रुपए का व्यापार का नुकसान हो रहा है. पेट्रोल पंपों की सेल आवाजाही बंद होने से 50 फीसदी कम हो गई है. इंटरनेट बंद होने से छात्र भी परेशान उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. दिल्ली-चंडीगढ़ की फ्लाइट का रेट 3 हजार से बढ़कर 17 हजार तक पहुंच गया है. बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि ये आंदोलन पंजाब का है हरियाणा का नहीं है, लेकिन हरियाणा का हर किसान इस आंदोलन के साथ खड़ा है."
'कांग्रेस के मुकाबले एक बार भी MSP नहीं बढ़ा पाई BJP':इधर किसानों की एमएसपी की मांग को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा "केंद्र में बनी बीजेपी की सरकार कांग्रेस के मुकाबले एक बार भी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं कर सकी. किसानों की सुध तो न पूर्व की वाजपेयी सरकार ने ली और न ही सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने. डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हर साल फसलों का एमएसपी बढ़ाकर किसान हितैषी होने का सबूत पेश किया. साल 1999 से 2004 तक देश में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार थी. उक्त सरकार ने अपने कार्यकाल में धान के दामों में 14 फीसदी बढ़ोतरी की, जो सालाना 2.3% ही रही. लेकिन, कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान धान के एमएसपी में कुल 143% बढ़ोतरी हुई, जो सालाना 14.3% दर्ज की गई. जबकि 2014 के बाद से अब तक भाजपा की मोदी सरकार ने धान के दाम में सिर्फ 54.1 फीसदी बढ़ोतरी की है, यानी सालाना बढ़ोतरी 6 फीसदी ही रही है."