नूंह: हरियाणा को मेडल की फैक्ट्री के नाम से देश ही नहीं विदेश में जाना जाता है. यहां कुश्ती, बॉक्सिंग के अलावा कई खेलों में खिलाड़ी मेडल जीतकर राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं. लेकिन इसी प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है, जो सरकारी स्टेडियम से लेस है. हम बात कर रहे हैं नूंह जिले की. जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते प्रतिभाएं दम तोड़ रही है.
प्रतिभा की नहीं सुविधा की कमी: नूंह जिले में इस समय करीब दर्जनों जगह पर क्रिकेट टूर्नामेंट हो रहे हैं और उनमें सैकड़ों लोगों की भीड़ रोजाना पहुंच रही है. नूंह के खिलाड़ी शाहबाज अहमद भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंच चुके हैं. तो पांडिचेरी की तरफ से नदीम अजमत का चयन रणजी ट्रॉफी के लिए कुछ दिन पहले ही हुआ है. इसके अलावा, बहुत सारे खिलाड़ी अच्छा क्रिकेट खेलते हैं. क्रिकेट के अलावा, वॉलीबॉल समेत कई खेलों का चलन है. सरकार ने करीब डेढ़ दशक पहले राजीव गांधी खेल परिसर खंड स्तर पर बनाए थे. लेकिन उनमें सुविधा देना सरकार भूल गई.
नहीं हो पा रहा खिलाड़ियों का चयन: हरियाणा में सरकारें तो बदली लेकिन खेल स्टेडियमों की सूरत नहीं बदल पाई. आज भी जिले में जिला स्तरीय खेल स्टेडियम की कमी खल रही है. जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी जिला स्तरीय खेल स्टेडियम नहीं बन पा रहा है. यही वजह है कि यहां कई खेलों में आयु वर्ग के हिसाब से खिलाड़ियों का चयन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. बावजूद इसके निजी जमीनों पर ग्राउंड तैयार कर खिलाड़ी खेलने को मजबूर हैं. उनकी मांग है कि सरकार को इस इलाके पर ध्यान देना चाहिए और प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकारी स्टेडियम के साथ-साथ उन स्टेडियमों में कोच समेत स्टाफ की भर्ती होनी चाहिए.
सुविधाओं की कमी: ग्राउंड में बिजली, पानी, शौचालय समेत तमाम सुविधाएं खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए. इस जिले के खिलाड़ी भी प्रदेश व देश का नाम रोशन कर सकते हैं. कुल मिलाकर इस जिले में बड़ी तादाद में खेल प्रेमी व खेल प्रतिभाएं हैं. लेकिन उन्हें तरासने के लिए सुविधाओं की कमी पिछले कई दशक से लगातार चलती आ रही है. देखना होगा सरकार कब तक नूंह के स्टेडियम और खेल प्रेमियों के प्रति सजग होती है. कब तक खिलाड़ियों की मांगों को पूरा करती है.
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