नूंह:जिले के रोजकामेव आईएमटी में 9 गांव की तकरीबन 1600 एकड़ भूमि में विकसित हो रही आईएमटी की जमीन का उचित मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 10 महीने से धरने पर बैठे किसानों के प्रतिनिधिमंडल की सोमवार को अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप मलिक एवं एचएसआईडीसी के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. बैठक में किसानों ने अपने पक्ष को मजबूती से रखा और उन्होंने कहा कि अगर उनको न्याय मिलने में देरी हुई तो आईएमटी का काम पूरी तरह से रोक दिया जाएगा.
IMT का कार्य ठप्प: अगस्त से किसानों के विरोध के चलते आईएमटी सोहना में विकास कार्य बंद है. पहले इस आईएमटी का नाम रोजका मेव के नाम से था, जिसे सरकार ने अब आईएमटी सोहना बदलकर रख दिया है. कुल मिलाकर किसानों को अब उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता रवि आजाद की अगुवाई में किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने कई विभागों के संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत की. इस दौरान किसानों ने लघु सचिवालय नूंह परिसर में किसान एकता के नारे भी लगाए.
मुआवजे को लेकर नाराज किसान- किसान नेताओं के मुताबिक वर्ष 2010 में अधिग्रहण की मुआवजा राशि 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया गया था. उसी समय बल्लभगढ़, फरीदाबाद जिले के 5 गांवों मच्छगर, चदांवली, मुजेडी, नवादा, सौतई की जमीन आईएमटी के लिए अधिग्रहित हुई थी. जिसका मुआवजा भी 25 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से दिया गया था. उन गांव वासियो ने मुआवजा राशि कम समझकर धरना-प्रर्दशन शुरू कर दिया. जो कुछ दिन बाद सरकार ने उनकी मांग मान ली और मुआवजा राशि 21 लाख रुपए और बढ़ाकर 46 लाख रुपए कर दिया.
मुआवजा कम देने का आरोप- जब आईएमटी रोजका मेव में लगने वाले 9 गांवों के किसानो को पता चला की मच्छगर, चदांवली, मुजेडी, नवादा, सौतई (बल्लभगढ़, फरीदाबाद) के किसानों का मुआवजा राशि बढ़ा दी गई है तो रोजका मेव के किसानों ने कम मुआवजा को लेकर धरना शुरू कर दिया और धरना लगभग 1.5 साल (18 माह) तक चला. उसके बाद सरकार किसानों के पास आई. जिसमें किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच बातचीत होकर मुआवजा राशि 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात हुई और सरकार ने मुआवजा राशि देने से पहले 9 गांवों के भोले भाले और अनपढ़ किसानों से एक इकरारनामा पर हस्ताक्षर व अंगूठा कराकर 46 लाख रुपए में से 21 लाख रुपए दिया.