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फसल को नुकसान पहुंचाने वाला मकोय बीमारी के लिए रामबाण, गया में इसकी खेती से किसान मालामाल

Gaya Me Makoy ki kheti:आमतौर पर खेत में मकोय होने से किसान परेशान हो जाते हैं. क्योंकि यह फसल को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन इसी मकोय की खेती कर किसान मालोमाल हो सकते हैं. क्योंकि इस जंगल का फल 150 रुपए किलो से भी ज्यादा कीमत में बिकता है. यह बीमारी के लिए रामबाण माना जाता है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 5, 2024, 8:12 PM IST

गया में मकोय की खेती

गयाःबिहार के गया में मकोय की खेती हो रही है. इसे रसभरी भी कहा जाता है. अलग-अलग क्षेत्र में इसका अलग-अलग नाम होता है. आमतौर पर किसान इसे जंगल समझते हैं क्योंकि यह फसल को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन यह बीमारियों के लिए रामबाण है. चाइनीज मेडिसिन में कैंसर के ट्रीटमेंट में इसका उपयोग किया जाता है. गया के किसान राजीव नंदन इस मकोय की खेती कर रहे हैं.

गया में रसभरी की खेतीःगया में इसकी पहले भी खेती की जा रही थी लेकिन अब बहुत कम हो गई है. चंद किसान ही इसकी खेती करते हैं. खेती करने वाले किसान राजीव नंदन बताते हैं कि मकोय अपने खास गुणों के लिए जाना जाता है. सरस्वती पूजा में इसकी मांग काफी होती है. पूजा के मुख्य फलों में से एक फल मकोय होता है. कई बीमारियों के लिए यह रामबाण साबित होता है.

"मकोय का उपयोग चाइनीज मेडिसिन में भी किया जाता है जो कि कैंसर के ट्रीटमेंट में होता है. इसके फल के अलावा इसके तने और पते भी उपयोगी होते हैं. 80 से 150 रुपए किलो प्रति किलो के हिसाब से इसका फल बिकता है. इसकी खेती में आमदनी ज्यादा तो खर्च बेहद कम होता है."-राजीव नंदन, किसान

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बीमारियों के लिए फायदेमंदःराजीव नंदन बताते हैं कि जनवरी-फरवरी और अधिक से अधिक मार्च तक यह फल होता है. ठंड के दिनों में ही इसकी उपज होती है. गर्मी पड़ते ही या फल खत्म हो जाता है. इस संबंध में मगध विश्वविद्यालय के पीजी डिपार्मेंट आफ बॉटनी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार सिंह बताते हैं कि मकोय में कई औषधीय गुण होता है, जो बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है.

"इस फल में विटामिन सी, एंटी ऑक्सीडेंट काफी ज्यादा है. वायरल इंफेक्शन से बचाता है. यह भारतीय फल है, जिसका प्रचार प्रसार उतना नहीं हुआ. इसका गुण आंवला के समान है. एंटीपायरेटिक फल है. इससे दर्द कम होता. दांत, पेट, जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी होता है."-डॉ. अमित कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर

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