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हरिद्वार जिले के 5 लाख किसान खाद की किल्लत से परेशान, गेहूं की बुआई के लिए नहीं मिल रहा उर्वरक - LAKSAR UREA DAP FERTILIZER

हरिद्वार जिले में चल रही गेहूं की बुआई, नहीं मिल रहा यूरिया और डीएपी खाद, हरिद्वार जिले के 5 लाख किसान परेशान

Shortage of Fertilizers i
खाद की कमी (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 22, 2024, 5:53 PM IST

लक्सर: हरिद्वार जिले में करीब 5 लाख किसान खाद की किल्लत से परेशान हैं. किसानों की परेशानी है कि उन्हें यूरिया और डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है. इन दिनों गेहूं की बुआई पिक पर चल रही है. ऐसे में खाद कि जरूरत होती है. किसान गन्ना समितियों और सहकारी समितियों के गोदाम के चक्कर लगाते फिर रहे हैं. जबकि, किसी भी समिति पर एक चुटकी खाद तक उपलब्ध नहीं है.

बता दें कि, लक्सर, भगवानपुर, मंगलौर, बहादराबाद, हरिद्वार ग्रामीण देहात के सभी तहसीलों की समितियों के गोदाम यूरिया खाद और डीएपी से सूने पड़े हैं. हरिद्वार जिले के 5 लाख से ज्यादा किसानों को यूरिया की किल्लत परेशान कर रही है. गेहूं की बुआई के लिए खाद का न मिलना, किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. किसानों को प्राइवेट दुकानों से यूरिया ढाई गुना महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है. किसानों का आरोप है कि प्राइवेट दुकानों से खरीदा गया यूरिया बेहतर क्वालिटी का नहीं है.

वहीं, लक्सर गन्ना समिति के सचिव सूरजभान का कहना है कि इफको यूरिया में डीएपी के लिए डिमांड भेजी गई थी, जो पूरी नहीं की गई है. फिलहाल, समितियों के लिए जो डिमांड भेजी गई है, उसको भी आने में 10 से 15 दिन का समय लगेगा. यदि 15 दिन तक किसानों को यूरिया में डीएपी नहीं मिल पाई तो गेहूं की फसल की बुआई कैसे करेंगे?

गेंहू की बुआई के लिए किसानों को नहीं मिल रही खाद: किसानों को गेहूं बोते समय बीज के साथ करीब 10 किलो प्रति बीघा के हिसाब से एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) खाद भी डालनी होती है. ज्यादातर किसान खाद गन्ना समिति या अपनी सहकारी समितियों से लेते हैं. एक तो वहां से किसानों को सीजन भर के लिए खाद उधार मिलती है तो दूसरे निर्माता कंपनी इफको से समितियों को सीधी सप्लाई होने के कारण इसकी गुणवत्ता पर भी कोई शक नहीं होता.

फिलहाल, गन्ना समिति के किसी भी गोदाम पर एनपीके (NPK) खाद नहीं है. किसान दूसरी जिन साधन सेवा समितियों के सदस्य हैं, एनपीके वहां भी काफी दिनों से खत्म है. ऐसे में किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं. किसान बताते हैं कि दूसरी फसलों के लिए किसान को अभी यूरिया खाद भी चाहिए, लेकिन जिले की 43 सहकारी समितियां में से 2-4 को छोड़कर बाकियों में यूरिया भी उपलब्ध नहीं है.

शासन को भेजी गई 27,416 मीट्रिक टन खाद की डिमांड: वहीं, जिला सहायक निबंधक पुष्कर सिंह पोखरियाल के मुताबिक, रबी के सीजन में किसानों को देने के लिए कुल 27,416 मीट्रिक टन खाद की डिमांड शासन में भेजी जा चुकी है. इसमें 15,009 मीट्रिक टन यूरिया, 11,310 मीट्रिक टन एनपीके और 1,100 मीट्रिक टन एनओपी मांगा गया है. उधर, इफको महाप्रबंधक रामभजन सिंह की मानें तो यूरिया और डीएपी खाद के लिए कंपनी को इंडेंट भेजा गया है, दिसंबर के पहले हफ्ते में डीएपी, यूरिया की रैक जिले में आएगी.

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