जोधपुरःपत्नी यदि सरकारी नौकरी में है तो भी घरेलू विवाद में उसे पति को उसे गुजारा भत्ता देना होगा. जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश दलपत सिंह राजपुरोहित ने घरेलू विवाद के एक मामले में व्यवसायी पति को उसकी सरकारी शिक्षक पत्नी को हर महीने 2 लाख रुपए का भरण-पोषण देने का फ़ैसला सुनाया है.
महिला के वकील नागराज गोस्वामी ने बताया कि न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया है. इसमें बताया गया था कि पत्नी यदि कामगार है तो भी वह भरण-पोषण लेने की हकदार है. इस मामले में सरकारी शिक्षक पत्नी को 1 लाख और 2 बच्चों के बालिग होने तक 50-50 हजार रुपए प्रतिमाह का भरण-पोषण देना होगा.
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वकील गोस्वामी ने बताया कि 2019 में फैमिली कोर्ट में सरकारी शिक्षक महिला की ओर से दावा पेश किया गया था. सरकारी शिक्षक और एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सिस्टम के बिजनेसमैन की शादी 18 फरवरी 1999 में हुई थी. इसके बाद से ही युवक पत्नी के साथ घरेलू हिंसा करने लगा था. महिला परिवार बचाने के लिए सब झेलती रही. इस बीच दोनों के 2 बेटे भी हुए. एक 17 साल और दूसरा 12 साल है.शादीशुदा होने के बावजूद पति अन्य महिलाओं के संपर्क में रहा. एक बेटे ने उसे महिला के साथ देखा भी था. उसने कोर्ट में पिता के खिलाफ बयान भी दिए थे. बाद में पति ने महिला को बच्चों समेत घर से निकाल दिया.
कमाई के दस्तावेज जुटाएःगोस्वामी ने बताया कि परिवादी महिला के पति का एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सिस्टम के नाम से जोधपुर, जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, प्रयागराज, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई समेत 10 शहरों में बिजनेस है. उसकी मासिक आय 7 लाख से अधिक है, जबकि महिला पत्नी ग्रेड थर्ड टीचर है. उन्होंने पति के 10 शहरों में चल रहे बिजनेस के दस्तावेज कोर्ट में पेश किए. पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील ए आर चौधरी ने कोर्ट में बताया था कि उसका कोई बिजनेस नहीं है. वह घर-घर जाकर लकड़ी के बने एक्यूप्रेशर बेचता है, लेकिन कोर्ट ने उसकी दलील नहीं मानी और व्यवसायी की आय को देखते हुए उसकी पत्नी को दो लाख का गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए.
गुजारा भत्ता देने के नियमःहिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत तलाक, विवाह शून्य कराने की स्थिति या वैवाहिक जीवन फिर से शुरू करने की याचिका के लंबित रहने के दौरान इस धारा के तहत पत्नी अपने पति से मासिक गुजारा भत्ता मांग सकती है. इसके लिए जरूरी है कि पत्नी के पास आय का कोई साधन नहीं हो. वहीं अगर वह आय करती भी है तो वह पति की तुलना में कम हो. इन दोनों स्थितियों में अदालत पति के स्टेटस के बराबर पत्नी को गुजारा भत्ता दिलाने के आदेश दे सकती है.